Tag: कृष्णदत्त पालीवाल

अगस्त 2014

भारत का एक भूगोल है को भारत एक भूगोल है भी कहा जा सकता है और इसी तरह कहा यह भी जा सकता है कि भारत एक इतिहास है. पर भारत को परिभाषित करने की यह बात यहीं खत्म नहीं…

जनवरी 2010

महाकवि जयशंकर प्रसाद की कविता थी- ‘छोटे-से जीवन की कैसे बड़ी कथाएं आज कहूं/ क्या यह अच्छा नहीं कि औरों की सुनता मैं मौन रहूं’. यूं तो लेखक की हर रचना में कहीं न कहीं अपनी बात होती ही है…

अप्रैल 2012

  कुलपति उवाच सच्चा विजेता कनैयालाल माणिकलाल मुनशी शब्द-यात्रा मंदिर का घर आनंद गहलोत पहली सीढ़ी आरम्भ खलील जिब्रान आवरण-कथा सम्पादकीय प्रपंच में रमते राम दुर्गादत्त पाण्डेय रामत्व पाये बिना राम नहीं मिलते कैलाशचंद्र पंत कुछ ऐसे पढ़ें राम-कथा सच्चिदानंद…