Tag: अच्युतानंद मिश्र

‘तेंदुआ गुर्राता है, तुम मशाल जलाओ’

♦   अच्युतानंद मिश्र   > भारतीय तत्त्व चिंतन में भाषा, संस्कृति और धर्म को हमारी अस्मिता के अनिवार्य और अविभाज्य अंग के रूप में स्वीकार किया गया है. भाषा से संस्कृति और संस्कृति से राष्ट्र की पहचान होती है. मानव…

सितम्बर 2008

शब्द-यात्रा बयान, बयां और अंदाज़े-बयां आनंद गहलोत  पहली सीढ़ी  उठो, जन्म लो मेरे साथ बंधु! पाब्लो नेरूदा आवरण-कथा प्रश्न पहचान का सवाल सारी भारतीय भाषाओं का है अच्युतानंद मिश्र एक नयी हिंदी जन्म ले रही है रामशरण जोशी भाषा आंदोलन छेड़ने…