वर्ष : 6 | अंक:7 |
मार्च 2021 |
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कुलपति उवाच |
03 |
क्रांतिकारी परिवर्तन
के.एम. मुनशी |
अध्यक्षीय |
04 |
मन की शक्ति
सुरेंद्रलाल जी. मेहता |
पहली सीढ़ी |
11 |
उजास में
कुंतल कुमार जैन |
उपन्यास-अंश |
112 |
ढलती सांझ का सूरज (भाग - 3)
मधु कांकरिया
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व्यंग्य |
74 |
कोरोना की वजह से
मनमोहन सरल
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शब्दों का स़फर |
136 |
दम्पती यानी घर के मालिक
अजित वडनेरकर
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आलेख |
46 |
महादेवी, जैनेंद्र और वह टिप्पणी
सुरेश ऋतुपर्ण
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62 |
'मुझे कोई नहीं समझ सकता'
अने फ्रांक
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66 |
कुहासे में डूबी सिलिकॉन वेली
लक्ष्मेंद्र चोपड़ा
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76 |
निमंत्रण
नरेंद्र कोहली
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86 |
उम्रे-दराज़ मांग कर लाये थे चार दिन...
उमाशंकर चतुर्वेदी
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107 |
वह 'रंग विदूषक' यायावर...
सत्यदेव त्रिपाठी
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110 |
ज़िद पहले गाने की
किशन शर्मा
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130 |
मोहब्बत एक खुशबू है...
गंगाशरण सिंह
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132 |
मैं जानती थी...
ममता कालिया
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136 |
किताबें
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आवरण-कथा |
12 |
तू है, इसलिए
सम्पादकीय
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14 |
छितरे वजूद को संवार ले जाऊंगी
जितेंद्र भाटिया
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18 |
स्त्री हूं इसलिए...
सुधा अरोड़ा
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22 |
दुनिया की आधी आबादी के नाम
जयश्री सिंह
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26 |
क्योंकि मैं स्त्री हूं........
रुचि भल्ला
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29 |
परिवार का ऑक्सीजन-टेंट
राजी सेठ
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32 |
वे अपना आकाश रच रही हैं
डॉ. कृष्णा श्रीवास्तव
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34 |
सवाल स्त्री-चेतना के निहितार्थ समझने का है
डॉ. प्रभाकर श्रोत्रिय
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40 |
भारतीय नारी
जवाहरलाल नेहरू
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कथा |
42 |
कुछ बेहद छोटी कहानियां
कविता कृष्णपल्लवी
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49 |
कस्बे का शिव मंदिर
मधुसूदन आनंद
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93 |
जीवन-संध्या का सुख
विमला मल्होत्रा
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कविताएं |
21 |
कंधे
सुधा अरोड़ा
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39 |
स्त्री
रामकुमार आत्रेय
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44 |
दो कविताएं
रश्मि धवन
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58 |
पहाड़ी हम जिसे पार करते हैं
अमांडा मोर्गन
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73 |
हिंस्रमेवजयते
हूबनाथ
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समाचार |
140 |
भवन समाचार |
144 |
संस्कृति समाचार |