Tag: आनंद गहलोत

जुलाई 2008

शब्द-यात्रा चतुरन की बात में, बात-बात में बात आनंद गहलोत पहली सीढ़ी  तू ही तो मही मां ! हरीश भादानी आवरण-कथा साहित्य का दायित्व विडम्बनाओं, विसंगतियों की आहटों को महसूसना ज़रूरी है चित्रा मुद्गल सतत सजगता का एक नाम है…

जून 2008

शब्द-यात्रा क्या खीर पक रही है ? आनंद गहलोत पहली सीढ़ी  अमिय-रस आवरण-कथा पानी बिच मीन पियासी नंद चतुर्वेदी ऐसे चलता था समाज का खेल अनुपम मिश्र देश की जल-कुंडली पानी बचाय के ना रखब्या, तब ना हम लेबै सराध में…

मई 2008

शब्द-यात्रा तपिश दिल की बुझा लेना आनंद गहलोत पहली सीढ़ी  चल अकेला रे… रवींद्रनाथ ठाकुर आवरण-कथा आगे बढ़ना है तो चलना ही पड़ेगा डॉ. कन्हैयालाल नंदन सभ्यता में पहिया अनूप सेठी साइकिल-चिंतन विजय कुमार तब जीवन का छंद कविता बनता…

मार्च 2008

शब्द-यात्रा घड़ी-घड़ी मेरा दिल धड़के आनंद गहलोत पहली सीढ़ी  मर-मर क्या जीना हरीश भादानी आवरण-कथा व्यंग्य के साथ भी हंसी आती है, पर वह ऐसी नहीं होती हरिशंकर परसाई मगर इंसान हंसता क्यों है? कृश्न चंदर मेरा व्यंग्य सवालों के जवाब…

सितम्बर 2014

वर्ष : 62  अंक : 09  सितम्बर 2014   कुलपति उवाच व्यक्तित्व का विकास के.एम. मुनशी  शब्द यात्रा ना यानी नहीं आनंद गहलोत  पहली सीढ़ी और एक मुस्कान पॉल एलुआर  आवरण-कथा सम्पादकीय सवाल भाषाई आत्मसम्मान का रघु ठाकुर हिंदी में…