स्मरण (वर्ष 2016 स्वर्गीय शरद जोशी की 85वीं सालगिरह का वर्ष है. (जन्म : 21 मई, 1931) वे आज होते तो मुस्कराते हुए अवश्य कहते, देखो, मैं अभी भी सार्थक लिख रहा हूं. यह अपने आप में कम महत्त्वपूर्ण नहीं है कि…
डर – डॉ. रश्मि शील
कहानी मानसी अभी बिस्तर पर ही थी कि उसका मोबाइल बज उठा. उसने सवालिया नज़रों से मोबाइल की ओर देखा जैसे जान लेना चाहती हो कि सुबह–सुबह किसे, क्या तकलीफ है! ‘कॉल बैक’ न करना पड़े इसलिए उसने झट से…
किताबों के देश में – शंभुनाथ
आकलन याज्ञवल्क्य ने स्त्राr गार्गी के लगातार सवाल करने से गुस्सा होकर कहा था– ‘इससे आगे कुछ पूछा तो तुम्हारे सिर के टुकड़े हो जायेंगे.’ याज्ञवल्क्य किताबों के देश से बहुत दूर थे. किताबें सवालों से जन्मती हैं. इसलिए किताबों…
जीवन का अर्थ : अर्थमय जीवन – अनुपम मिश्र
व्याख्यान अक्सर सभा सम्मेलनों के प्रारम्भ में एक दीपक जलाया जाता है. यह शायद प्रतीक है, अंधेरा दूर करने का. दीया जलाकर प्रकाश करने का. इसका एक अर्थ यह भी है कि अंधेरा कुछ ज़्यादा ही होगा, हम सबके आसपास.…
कहां गयी प्यारी गौरेया – चंद्रशेखर के. श्रीनिवासन
कविता इधर–उधर उड़ती–फिरती तुम आती आंगन में, तिरती तुम, पीसा था जो आटा मां ने बिखरे जो गेहूं के दाने, वह सब चुन–चुन खाने आती, मिनटों में तुम सब चुग जाती मां गाती थी मैं था बच्चा सुनता तेरा गाना…
पिता – व्योर्नस्तयेर्ने व्योर्न्सन
नोबेल–कथा 8 दिसम्बर, 1832 को नार्वे में जन्मे व्योर्न्सन की ख्याति आधुनिक नार्वेजियन साहित्य के जन्मदाता के रूप में है. कवि, उपन्यासकार, आलोचक, नाटककार के अलावा वे अपने समय के एक प्रखर नैतिक एवं राजनीतिक नेता भी रहे. सन्…