Category: आवरण कथा

मानवनिष्ठ भारतीयता के पक्ष में  –  दादा धर्माधिकारी

आवरण–कथा इस देश में राष्ट्रीयता के मार्ग में तीन रुकावटें हैं. ये तीन बटमार, राहजन हैं. पहला है– सप्रदाय, दूसरा है– जाति, और तीसरी भाषा. सप्रदाय का जनक, उसका आद्य प्रवर्तक इस देश का मुसलमान है. हिंदू ने उसकी नकल…

भारतमाता  –  जवाहरलाल नेहरू

आवरण–कथा अपने असीम आकर्षण और विविधता के कारण भारत मुझे लगातार मोहित करता रहा है. जितना मैंने भारत को देखा उतना ही मुझे यह लगा कि किसी के लिए भी भारत को सम्पूर्णता में समझना कितना मुश्किल है. भारत की…

राष्ट्रीयता और मानवता एक ही चीज़ है  –  महात्मा गांधी

आवरण–कथा मैं अपने देश की स्वतंत्रता इसलिए चाहता हूं ताकि दूसरे देश मेरे स्वतंत्र देश से कुछ सीख सकें और देश के संसाधनों का उपयोग मानव जाति के हित के लिए किया जा सके. जिस प्रकार राष्ट्रप्रेम का मार्ग आज…

रवींद्रनाथ की वैश्विक दृष्टि –  रामशंकर द्विवेदी

आवरण–कथा रवींद्रनाथ की वाणी, उनका काव्य, उनकी शिल्पचेतना, उनका सौंदर्य चिंतन, सभी में एक उदार दृष्टि मिलती है. उनमें मानवतावाद और स्वदेश भक्ति कूट–कर भरी हुई थी. वे पूर्व और पश्चिम के बीच एक सेतु थे. उनमें राष्ट्रबोध था, वे…

बीज ऩफरत के न बोने देंगे  – राजकिशोर

आवरण–कथा मैं समझता हूं कि राष्ट्रीयता पर वही नियम लागू होना चाहिए जो कानून किसी व्यक्ति के अपराधी होने या न होने के बारे में लागू होता है. इस नियम के अनुसार, जब तक यह सिद्ध नहीं हो जाता कि…