पत्र-कथा रवींद्रनाथ ठाकुर श्री चरणकमलेषु! आज पंद्रह वर्ष हो गये अपने विवाह को, मगर अब तक तुम्हें चिट्ठी नहीं लिखी. हमेशा तुम्हारे पास ही पड़ी रही. मुख-जबानी अनेक बातें तुमसे सुनीं, तुम्हें भी सुनायीं. चिट्ठी-पाती लिखने की दूरी भी…
Category: कहानी
धुंध के पार
♦ संतोष श्रीवास्तव > बांस का गट्ठर ज़मीन पर पटक बापू खटिया पर बैठ पसीना पोंछने लगे. रेवली पानी का लोटा भर लायी. अंदर से माई ने हांक लगायी “रोटी तैयार है… खा लो तो चूल्हा समेटूं… ढेर काम करने…
अच्छा लग रहा है
♦ तेज प्रकाश > और तभी सीताकांतजी ने कहा था, “ये जो अच्छा लगने वाली बात है विद्युतजी, यही तो बात है. और यह कोई छोटी नहीं, बहुत बड़ी बात है. अच्छा लगे, यह एक शुद्ध, निखालिस सुख की बात…
उड़ान
चीनी कहानी ♦ मो यान > आकाश एवं धरती को प्रणाम कर चुकने के पश्चात, स्थूलकाय एवं श्यामवर्णी हुंग शी अंततः जब खाली हुआ तो अपनी उत्तेजना पर काबू नहीं रख पा रहा था. घूंघट में होने के…
अलविदा अन्ना
बचपन गाथा ♦ सूर्यबाला > यह लम्बी संस्मरणनुमा कहानी बाल-मन को समझने-समझाने का एक उत्कृष्ट उदाहरण है. प्रस्तुत है इस कथा के कुछ सम्पादित अंश. एयरपोर्ट पर बाहर निकलते ही बर्फीली हवाओं ने धावा बोल दिया. अठारह घंटे प्लेन…