Category: कविता

हमें वोट दो जगवालो…

बच्चे लड़ते आपस में, नेता भिड़ते संसद में बच्चे हिल-मिल फिर गाते, नेता दुश्मन बन जाते नेताओं से तो अच्छे, हम छोटे-छोटे बच्चे कथनी-करनी एक जैसी, अंदर-बाहर से सच्चे हमें वोट दो जगवालो, हम सरकार बनायेंगे! कर न सके अब…

हम सब बच्चे कितने अच्छे!

एक-दूसरे की बेमतलब आज खून की प्यासी दुनिया बम-मिसाइलों की दीवानी हथियारों की दासी दुनिया हम बच्चों से कुछ तो सीखें हिल-मिलकर कैसे रहते हैं कैसे हर मन के आंगन में प्यार और भाई चारे के मंगल दीप सदा जलते…

नरेश सक्सेना की तीन कविताएं

मढ़ी प्राइमरी स्कूल के बच्चे उनमें आदमियों का नहीं एक जंगल का बचपन है जंगल जो हरियाली से काट दिये गये हैं और अब सिर्फ़ आग ही हो सकते हैं नहीं बच्चे फूल नहीं होते फूल स्कूल नहीं जाते स्कूल…

इन दिनों

इन दिनों बेहद ज़रूरी है बचाये रखना कुछ शब्दों को बड़े जतन से जैसे बचायी जाती है खड़ी फसल जंगली जानवरों से हांका लगाकर.   जैसे बचाये जाते हैं दाल और मसाले सीलन और घुन से चटख धूप की चादर…