Category: आत्मकथांश

फ़र्क अंग्रेज़ी और देसी का

बहुत पीछे लौट रही हूं. अपने बचपन की ओर. जाने कितने मोड़ उलांघ आयी हूं. हर मोड़ का एक रंग. आंखों के आगे बेशुमार रंग झिलमिला रहे हैं. ऐसा देख सकने के लिए जाने कितने बसंत, पतझर, सर्दी, गरमी, बरसात…