Category: धर्म

दृष्टि और दिशाबोध

⇐  भद्रसेन  ⇒      जब कभी मैं किसी धर्म के सम्बंध में पढ़ता या सुनता हूं, तो बेंजामिन फ्रैंकलिन की आत्मकथा का एक उद्धरण स्मरण हो आता है. यदि दुनिया के सब धर्मों वाले उसे हृदयंगम करें, तो परस्पर सौहार्द…

भारतीय संस्कृति बौद्धिक है

⇐  पुरुषोत्तमदास टंडन  ⇒      हमारे सामने आज दो रास्ते हैं, जो भयावह हैं, डर के रास्ते हैं. भारतीय संस्कृति को इन दो रास्तों से बचाना है.     एक रास्ता वह है, जिस पर हमारे पश्चिम की नकल करनेवाले…

वाल्मीकि रामायण

कोनसप्ततितमः सर्गः असृक्चन्दनद्गिधाङ्गं चारुपत्रं पतत्रिणम्। दानवेद्राचलेद्राणामसुराणां च दारुणम्।।19।। उसका सारा अंग रक्तरूपी चंदन से चर्चित था. पंख बड़े सुंदर थे. वह बाण दानवराजरूपी पर्वतराजों एवं असुरों के लिए बड़ा भयंकर था. तं दीप्तमिव कालग्निं युगान्ते समुपस्थिते । दृष्ट्वा सर्वाणि भूतानि…