Category: धर्म

प्रश्न का समाधान

♦   धर्मपाल जैन          शिवराम-किंकर योगत्रयानंद महाशय सोनारपुर में रहते थे. मकान के दूसरे तल्ले में एक बड़ा कमरा था. उसी में उनका आसन था. श्री गोपीनाथ कविराज प्रसिद्ध क्रांतिकारी शचींद्रनात सान्याल के साथ वहां पहुंचे.    …

एक पत्र ज्योतिर्मय

 जो अपने गुरूभाइयों के नाम स्वामी विवेकानंद ने 1894 ई.में लिखा था. प्रिय भ्रातृवृंद,     इसके पहले मैंने तुम लोगों को एक पत्र लिखा है, किंतु समयाभाव से वह बहुत ही अधुरा रहा. राखाल एवं हरि ने लखनऊ से एक…

दृष्टि और दिशाबोध

♦   भद्रसेन            जब कभी मैं किसी धर्म के सम्बंध में पढ़ता या सुनता हूं, तो बेंजामिन फ्रैंकलिन की आत्मकथा का एक उद्धरण स्मरण हो आता है. यदि दुनिया के सब धर्मों वाले उसे हृदयंगम करें,…

प्रश्न का समाधान

⇐  धर्मपाल जैन  ⇒        शिवराम-किंकर योगत्रयानंद महाशय सोनारपुर में रहते थे. मकान के दूसरे तल्ले में एक बड़ा कमरा था. उसी में उनका आसन था. श्री गोपीनाथ कविराज प्रसिद्ध क्रांतिकारी शचींद्रनात सान्याल के साथ वहां पहुंचे.     देखा, पुस्तकों…

एक पत्र ज्योतिर्मय

⇐  विवेकानंद  ⇒    जो अपने गुरूभाइयों के नाम स्वामी विवेकानंद ने 1894 ई.में लिखा था. प्रिय भ्रातृवृंद,     इसके पहले मैंने तुम लोगों को एक पत्र लिखा है, किंतु समयाभाव से वह बहुत ही अधुरा रहा. राखाल एवं हरि…