Category: आवरण कथा

गांधी और दलित  –   पन्नालाल सुराणा

आवरण-कथा महात्मा गांधी ने वास्तव में अछूत प्रथा एवं समूचे जाति-भेद को मिटाने के लिए भरसक प्रयास किये. लेकिन चंद दलित नेता उन्हें ‘दलित विरोधी’ मानते थे. उनकी मृत्यु के छह दशक बाद भी कांशीराम-मायावती जैसे राजनीतिक नेता हों या…

भारतीयता हमारी पहचान होनी चाहिए   –  रमेश नैयर

आवरण-कथा भारत के बहुसंख्यक हिंदू समाज को सदियों से जातिवाद बांटता रहा. छुआछूत की प्राचीरें खड़ी करता रहा. परंतु सौभाग्यवश उसे समतल-समरस करने की शक्तियां भी सक्रिय होती रहीं. संत-कवियों की उसमें विशेष भूमिका रही. उन्होंने लम्बी राजनीतिक दासता से…

व्यवस्था के गटर में मारे जाने वाले  –   प्रियदर्शन

आवरण-कथा क्या आपको अंदाज़ा है कि इस देश में हर साल नाले में उतर कर सफाई करने के दौरान कितने लोगों की मौत हो जाती है? 2007 में ‘तहलका’ पत्रिका ने अलग-अलग स्रोतों से जुटाई सूचनाओं के आधार पर अनुमान…

उड़ान भरती आकांक्षाओं का सच – रामशरण जोशी

आवरण-कथा हैदराबाद के केंद्रीय विश्व-विद्यालय के दलित छात्र रोहित वेमुला की आत्महत्या से उत्पन्न राष्ट्रव्यापी प्रतिरोध के क्षणों में 43 बरस पुरानी याद मन-मस्तिष्क पर दस्तक दे रही है. यह याद 1973 के दलित पैंथर आंदोलन से जुड़ी हुई है.…

ताकि सोच के जाले स़ाफ हों  –  सुखदेव थोराट

आवरण-कथा केंद्र सरकार नयी शैक्षणिक नीति बना रही है. यह अच्छी बात है, लेकिन ज़रूरी है कि इससे पहले शिक्षा को लेकर जो कदम उठाये गये थे, उनकी विवेचना हो. 11वीं पंचवर्षीय योजना में 2006 से लेकर 2011 तक उच्च…