Category: विधाएँ

गुलेलबाज़ लड़का

छठी कक्षा में पढ़ते समय मेरे तरह-तरह के सहपाठी थे. एक हरबंस नाम का लड़का था, जिसके सब काम अनूठे हुआ करते थे. उसे जब सवाल समझ में नहीं आता तो स्याही की दवात उठाकर पी जाता. उसे किसी ने…

बहादुर

सहसा मैं काफी गम्भीर था, जैसा कि उस व्यक्ति को हो जाना चाहिए, जिस पर एक भारी दायित्व आ गया हो. वह सामने खड़ा था और आंखों को बुरी तरह मटका रहा था. बारह-तेरह वर्ष की उम्र. ठिगना शरीर, गोरा…

खूंटा बदल गया

पुरु की अम्मा हर जाड़े में आटे के लड्डू बनाती थीं. उस रात भी उन्होंने लालटेन की रोशनी में, चूल्हे की आग के सामने बैठ, लड्डू बनाये थे. वे जब तक लड्डू बनाती रही थीं, तब तक उनके बेटे ध्रुव…

अलविदा अन्ना

एयरपोर्ट पर बाहर निकलते ही बर्फीली हवाओं ने धावा बोल दिया. अठारह घंटे प्लेन की यात्रा के बाद ठिठुरते हुए हम अपने तुड़े-मुड़े घुटने सीधे कर ही रहे थे कि बेटा भागता हुआ पहुंचा. हमारे गले लगा और अपने साथ…

ऑड मैन आउट उर्फ़ बिरादरी बाहर

[मंच पर सड़क का दृश्य. बायीं ओर कुछ सीढ़ियां ऊपर एक बाल्कनी और लम्बा बरामदा है. दायीं ओर दूसरे मकान का दरवाजा है. मंच के दायीं ओर से दो बच्चे हाथ में एक बैनर लेकर प्रवेश करते हैं, जिस पर सोमवार…