Category: कहानी

पूर्ववत्

♦  राजेंद्र कुमार शर्मा           रेल्वे फाटक के बंद होते ही सड़क पर से गुजरता भीड़ का रेला इस तरह ठहर गया, गोया पानी का तेज बहाव किसी अप्रत्याशित दीवार से टकराकर ठहर गया हो. एक-आध कार,…

इंद्रधनुष

♦   निर्मला ठाकुर            … अपनी पत्नी… शिवेन का जन्म… शिवेन के जन्म के कुछ ही दिनों बाद पत्नी की मृत्यु… गौरी बाबू ने एक बकरी खरीद ली थी और एक नौकरानी घर में रख ली…

खिलौना

♦  नारायण गंगोपाध्याय           खोजते-खोजते वेणु उस दुकान पर भी आ पहुंची. सांझ गहरी होती जा रही है. पास के सिनेमा-हाल के सामने मोटरें खड़ी हैं. सामने होटल की दीवार पर नियोन की निर्लज्ज घोषणा- ‘लेट्स गो…

केवल डाक्टर

♦    अयोध्याप्रसाद गोयलीय               चालीस वर्ष पूर्व एक युवक कालेज से डाक्टरी का डिग्री लेने के बाद रायबहादुर मथुरादास पाहुवा के पास उनका आशीर्वाद लेने पहुंचा, तो लाखों मनुष्यों को नेत्र-ज्योति का दान देने…

साल गुजर जाते हैं

♦   जैकोव सीगल              ‘हेलो…’      ‘हेलो. मैं बड़ा गजब का सेब खा रही हूं.’      ‘क्या कहा?’          ‘गजब का सेब.’      ‘किससे बात करनी है आपको?’      ‘तुमसे.’      ‘तुम कौन हो?’     …