Category: कहानी

छोटा जादूगर

बचपन गाथा ♦  जयशंकर प्रसाद    >    कार्निवल के मैदान में बिजली जगमगा रही थी. हंसी और विनोद का कलनाद गूंज रहा था. मैं खड़ा था. उस छोटे फुहारे के पास, जहां एक लड़का चुपचाप शराब पीनेवालों को देख रहा…

गुल्ली डंडा

बचपन गाथा  ♦  प्रेमचंद   >    हमारे अंग्रेज़ी दोस्त मानें या न मानें मैं तो यही कहूंगा कि गुल्ली-डंडा सब खेलों का राजा है. अब भी कभी लड़कों को गुल्ली-डंडा खेलते देखता हूं, तो जी लोट-पोट हो जाता है कि इनके…

मान की मृत्यु

♦  शम्स नवेद           मुबारिजुलमुल्क का व्यक्तित्व प्रभावशाली था. वह ऊंचा-पूरा, बदन का चुस्त और तगड़ा था. उसकी दाढ़ी कमरपट्टे को छूती थी और मूंछे घनी और ऊपर की ओर मुड़ी रहती थीं. उसे देखकर उसके साथियों…

नेतिहास

गुजराती कहानी  ♦  चंद्रकांत बक्षी          सरकारी कंट्राक्टर जैसे लग रहे एक दुर्जन ने पूछा- ‘क्या करते हैं आप?’ मीटर गेज ट्रेन की खड़खड़ाहट में उसने कुछ मोटी आवाज़ में जवाब दिया- ‘प्रोफेसर हूं!’     ‘किस विषय…

काली कार के गोरे लोग

♦  चंद्रकांता कक्कड़          कुछ एक बादल आकाश पर मंडरा रहे थे. सारी धरती बेखबर नींद में मस्त थी. क्षण-भर में ही इंद्रदूतों के नाद और हल्की फुहार ने गहन अंधकार को बिजली के प्रचंड प्रकाश से…