Category: कविता

आठ साल का वह

♦   इब्बार रब्बी    > आठ साल का हो गया पान सिंग मां देस भेज रही है उसे नीचे मुरादाबाद से उतरते ही पैसे ही पैसे हैं वहां से भेजेगा यह पान सिंग चचेरे भाई के साथ जाना वो है…

सृजन-धर्म

 कवि हूं- कथ्य पर जिंदा. कि रोगी से नहीं हूं कम, जो अपने पथ्य पर जिंदा कि कवि/रोगी न होना चाहता हूं अगर, आदत डालनी होगी मुझे कि मैं रह सकूं सामर्थ्य पर, निज सत्य पर जिंदा.    ♦   अरविंद…

सत्य का गणित

♦  ब्रह्मदेव         किसी ने सच ही कहा है, अंत में, सत्य की ही जीत होती है. अंत में जब न हम रहेंगे न तुम रहोगे न कोई और रहेगा यानी तब शून्य होगा किसी दार्शनिक ने ही…

दौड़

 ♦    मंजुला अग्रवाल      अस्तबल में बंधे रहने वाले घोड़े ‘रेस’ नहीं जीतते. और न शतरंज के मोहरे जिंदगी की बाजी ही पीटते. बड़े-बड़े पेंचवान कन्ने से जाते हैं. जो दलदल में उतरते तूफानों से जूझते इस दौड़…

आठ साल का वह

आठ साल का हो गया पान सिंग मां देस भेज रही है उसे नीचे मुरादाबाद से उतरते ही पैसे ही पैसे हैं वहां से भेजेगा यह पान सिंग चचेरे भाई के साथ जाना वो है 19 का आठ साल का…