Category: चर्चित स्तंभ

बारह फकीरों का कम्बल  –   काका कालेलकर

चिंतन कौन जाने किस तरह, किंतु दुनिया के सभी धर्म हमारे देश में आ पहुंचे हैं और वे किसी को सुख से रहने नहीं देते. अब इन धर्मों का हम करेंगे क्या? यह प्रश्न अनेक लोगों के मन में समय-समय…

युद्ध  –   लुइजी पिराण्डेलो

नोबेल-कथा 28 जून, 1867 को गिरगरेन्टी, सिसिला में जन्मे पिराण्डेलो ने सोलह वर्ष की अल्प अवस्था में ही कविता लिखना शुरू कर दिया था. बाद में ये गद्य की ओर मुड़े और इनकी पहली पुस्तक ‘लव विदाउट लव’ सन् 1893…

मुक्ति की आकांक्षा (पहली सीढ़ी) अप्रैल 2016

।। आ नो भद्राः क्रतवो यन्तु विश्वतः।। चिड़िया को लाख समझाओ कि पिंजरे के बाहर धरती बहुत बड़ी है, निर्मम है, वहां हवा में उन्हें अपने जिस्म की गंध तक नहीं मिलेगी. यूं तो बाहर समुद्र है, नदी है, झरना है,…

आम में बौर आ गये –  विद्यानिवास मिश्र

शब्द–सम्पदा फागुन चढ़ा नहीं और फगुनहट (होली) हहकारने लगी. फागुन के साथ आम का बड़ा पुराना रिश्ता है. फागुन में ही सेमल में ढेंढ़ी (फूल) लगती है, पलाश (छिउला) जंगल में आग दहका देता है, महुए में कूंचे लगते हैं,…

उड़ीसा की राजकीय मछली : महानदी महासीर  –  डॉ. परशुराम शुक्ल

राज-मछली महानदी महासीर एक शानदार मछली है. इसका वैज्ञानिक नाम है टॉर महानदिकस. अंग्रेज़ी में इसे महसीर कहते हैं. व्यावसायिक उपयोग की इस मछली का व्यावसायिक नाम महानदी महासीर है. विश्व में यह इसी नाम से विख्यात है. महानदी महासीर…