Category: धर्म

समष्टि कामना की सामूहिक अभिव्यक्ति   – लक्ष्मीकांत वर्मा

महाशिवरात्रि तमस तांडव का लोक में एक और रूप पाया जाता है जिसका नाम ही प्रेरणा है. इसमें प्रपन्न नृत्य के सभी अंगहारों और पदों, गतियों भ्रामरी की चाल अधिक सरल और सुगम रूप में प्रस्तुत किये जाते हैं. तमस…

धर्म ईमान का पहरुआ है – डॉ. दुर्गादत्त पाण्डेय

चिंतन बुनियादी प्रश्न यह है कि क्या विश्व का जनमानस धर्म को बाहरी लबादा समझकर जब चाहे उतारकर फेंक सकता है? क्या धर्म मात्र ‘फैशन’ की चीज़ है? हकीकत तो यह है कि धर्म हमारे भीतर पैठा हुआ जीवंत भाव…

पावनता धर्म का सार है

♦  जे. कृष्णमूर्ति    > यदि आप एक तूफान के बाद नदी के किनारे बैठे हों, तो आप देखते हैं कि जल-धारा ढेर सारा मलबा बहाकर ले जा रही है. इसी प्रकार आपको अपनी हर गतिविधि को सावधानी से देखना…

धर्म का मतलब

♦  विवेकानंद   > अपने सहयोगी स्वामी ब्रह्मानंद को लिखे एक पत्र में स्वामी विवेकानंद ने उन्हें धर्म के वास्तविक रूप का सार समझाया था. उस पत्र के कुछ अंश. अल्मोड़ा 9 जुलाई, 1897 बहरमपुर में जैसा काम हो रहा है…

उत्तरित प्रश्न

♦    आचार्य रजनीश        प्रश्न- धार्मिक व्यक्ति का व्यावहारिक जीवन किस प्रकार का होता है? उत्तर- पहली बात तो यह है कि धार्मिक व्यक्ति के जीवन में व्यावहारिक और पारमार्थिक ऐसे खंड नहीं होते हैं. धार्मिक जीवन…