भवन-समाचार

भारतीय विद्या भवन से जुड़े आप सब लोगों को मैं विश्वास दिलाना चाहती हूं कि संस्कृति और धार्मिक चेतना के विस्तार के लिए आप जो कार्य कर रहे हैं, उसकी सफलता के लिए मैं ईश्वर से प्रार्थना कर रही हूं. सब जगह लोग ईश्वर के लिए भूखे हैं. यदि हम प्रार्थना करेंगे, तो हम विश्वास करेंगे. विश्वास करेंगे, तो प्यार करेंगे प्यार करेंगे, तो सेवा करेंगे. तभी हम ईश्वर के प्रति अपने प्यार को गरीबों की सेवा के माध्यम से उस तक पहुंचा सकेंगे.           – मदर टेरेसा

 

मुम्बादेवी आदर्श संस्कृत महाविद्यालय के छात्रों को पारितोषिक

के.जे. सोमैया राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ विद्याविहार, मुंबई द्वारा आयोजित संस्कृत-वक्तृत्व प्रतियोगिता में भवन के मुम्बादेवी आदर्श संस्कृत महाविद्यालय के तीन छात्रों को विभिन्न प्रतियोगिताओं में पारितोषिक प्राप्त हुए.

श्री सुजीत झा (शात्री तृतीय वर्ष) को संस्कृत धातुपाठ प्रतियोगिता में प्रथम पारितोषिक, श्री रमाकांत शर्मा (शात्री द्वितीय वर्ष) को साहित्य शलाका प्रतियोगिता में द्वितीय पारितोषिक और श्री दीपक पाण्ड्या (आचार्य प्रथम वर्ष) को साहित्य भाषण प्रतियोगिता में द्वितीय पारितोषिक प्रदान किये गये.

राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान मानित विश्वविद्यालय, नयी दिल्ली द्वारा भोपाल में आयोजित की जानेवाली अखिल भारतीय सस्कृत वक्तृत्व प्रतियोगिता के लिए महाराष्ट्र और गोवा राज्यों के प्रत्याशी छात्रों के चयन हेतु विद्याविहार (मुंबई) में इस प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था.

 कार्यशाला का आयोजन

भवन के नई मुंबई केंद्र में विद्यार्थियों के लिए कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला की शुरुआत व्यक्तित्व विकास के एक कैम्प्स से हुई. दूसरे दिन विद्यार्थियों ने क्राफ्ट बनाये तथा उन्हें पेपर बैग और बर्तनों पर चित्र बनाना सिखाया गया. तीसरे दिन योग, उन्हें आत्मसुरक्षा के उपाय भी बताये गये. सभी सहभागियों ने कार्यक्रम का खूब आनंद लिया.

 

‘संस्कृत रचनात्मक लेखन – वर्तमान चलन’ पर व्याख्यान

भारतीय विद्या भवन ने ‘संस्कृत रचनात्मक लेखन – वर्तमान चलन’ विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया. बड़ौदा, एम.एस. विश्वविद्यालय के ओरिएन्टल इंस्टीटय़ूट में निदेशक डॉ. एम.एल. वाडेकर को व्याख्यान हेतु आमंत्रित किया गया था. कार्यक्रम की शुरूआत श्री हितेश त्रिवेदी द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार के साथ हुई.

प्रो. एस.ए. उपाध्याय व श्री गिरीश जानी ने वक्ता का पुष्पगुच्छ देकर स्वागत किया. और उनका परिचय दिया.

अपने गरिमामय व्याख्यान में डॉ. एम.एल. वाडेकर ने आधुनिक संस्कृत के रचनात्मक लेखन में एक भिन्न शैली को वर्तमान दौर के विभिन्न जाने-माने कवियों और लेखकों के उद्घरणों के माध्यम से उद्घाटित किया. उन्होंने आधुनिक संस्कृत काव्य लेखन के विभिन्न पहलुओं की चर्चा की. 

सध्यक्षीय भाषण में प्रो. एस.ए. उपाध्याय ने संस्कृत साहित्य के परंपरागत एव’ आधुनिक रूपों के अध्ययन पर बल दिया.

 पुणे केंद्र का 30वां स्थापना दिवस

भवन के पुणे केंद्र ने अपना 30 स्थापना दिवस मनाया. इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. शंकर अभयंकर का स्वागत केंद्र चेअरमैन डॉ.  पी. आर. दुभाषी ने किया. अपने भाषण में विभिन्न शैक्षणिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन एवं प्रसार पर बल देते हुए डॉ. शंकर ने मुंशीजी के योगदान की भी चर्चा की. सुलोचना नाटू विद्यामंदिर के छात्रों की प्रार्थना से शुरू हुए कार्यक्रम में छाबरिया नर्सरी स्कूल और पराजपे नर्सरी स्कूल के छात्रों ने महात्मा गांधी के भजनों का गायन किया. परांजपे विद्यामंदिर के छात्रों ने ‘करके देखो’ जैसे आविष्कारी कार्यक्रम की सजीव प्रस्तुति की.

 

 

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