ऑड मैन आउट उर्फ़ बिरादरी बाहर

 ♦  सुधा अरोड़ा  >   

 [मंच पर सड़क का दृश्य. बायीं ओर कुछ सीढ़ियां ऊपर एक बाल्कनी और लम्बा बरामदा है. दायीं ओर दूसरे मकान का दरवाजा है. मंच के दायीं ओर से दो बच्चे हाथ में एक बैनर लेकर प्रवेश करते हैं, जिस पर सोमवार लिखा है. मंच के बीचों बीच रुक कर वे बोलते हैं.]

सोमवार

पहला आज सोमवार है,

दूसरा – बस्ता बांधो, स्कूल जाओ

पहला – बीत गया इतवार है

दूसरा – आज सोमवार है.

[शैलजा लम्बे बरामदे में टहल कर अभिनय के साथ एक कविता का पाठ कर रही है]

शैलजा – नमस्कार! मैं आपको कवि सर्वेश्वर दयाल सक्सेना की कविता ‘व्यंग्य मत बोलो’ सुना रही हूं-

व्यंग्य मत बोलो.
काटता है जूता तो क्या हुआ,
पैर में न सही, सिर पर रख डोलो
व्यंग्य मत बोलो.
अंधों का साथ हो जाये तो
खुद भी आंखें बंद कर लो,
जैसे सब टटोलते हैं
राम तुम भी टटोलो.
व्यंग्य मत बोलो.
भीतर कौन देखता है
बाहर रहो चिकने,
यह मत भूलो, यह बाज़ार है
सभी आये हैं बिकने,
राम-राम कहो और माखन-मिश्री घोलो.
व्यंग्य मत बोलो.

[कविता रटते रटते अचानक मां को आवाज़ लगाती है]

शैलजा मां! अभी तक टिफिन नहीं हुआ? आज रोहन की बारी है. उसकी नयी गाड़ी आयी है. आते ही शान बघारना शुरू करेगा.

[शैलजा की मां आकर टिफिन थमाती है.]

मां – यह ले! उफ, यह कार पूल क्या ज्वॉयन किया, जान को बवाल लगा लिया. बच्चे हैं कि हिटलर की नस्ल…

[रोहन, अलिफ, डॉली और ड्राइवर दायीं ओर से आते हैं.]

[गाड़ी के आकर रुकने की आवाज़]

रोहन (घमंड से मुंह घुमाकर) – देखा? मैंने कहा नहीं था, मारुति वन थाउजंड रन्स लाइक मर्क. इट्स एन इंडियन मर्सिडीज़.

डॉली (नाक-भौं सिकोड़ते हुए)– मर्क माय फुट! इज इफ आय हैव नॉट सीन मर्क, लंदन में मेरे अंकल के पास मर्सिडीज ही है. जस्ट पुश अ बटन ऑन योर लेफ्ट और आगे-पीछे की कोई भी विंडो खोल लो, ऊपर की छत भी हटा सकते हैं.

रोहन – डोंट टॉक फुलिश डॉली, मैं कार में लगे बटनों की बात नहीं कर रहा. आय’म सेइंग- इट्ज एज स्मूद एज मर्क.

डॉली – एज़ इफ माय वन-वन-एट एन ई इज नॉट स्मूद. रोहन, डोंट फुलाओ विद योर ग्रेट मारुति.

रोहन – नो-नो, योर वन-वन एटेनी रन्स लाइक होलिकॉप्टर-घर्र-र्र-र्र…

[गले से आवाज़ निकाल कर घूमता है]

[अलिफ बाईं ओर के दरवाज़े से निकल कर आता है. कार को देखता हुआ चारों ओर चक्कर लगाता है]

अलिफ – वा-ऊ, व्हॉट अ कार. अब से हमेशा तेरी यही कार आएगी न? व्हॉट फन.

[रोहन विजेता के अंदाज़ में डॉली को घूरता है. डॉली मुंह बिचका कर दूसरी ओर देखने लगती है]

अलिफ – डॉली, सूबू को किसका मुंह देखकर उट्ठी है? (हंस कर) तेरा मुंह थोड़ा टेढ़ा हो गयेला है?

डॉली – शट अप! आईने में कभी अपना मुंह भी देखा है?

[अलिफ और रोहन हंसते हैं]

रोहन – लेट हर जलो-भुनोफाई, ड्राइवर जी, हॉर्न मारिए, शैलजा की बच्ची अभी तक नहीं आयी.

[गाड़ी का हॉर्न बजता है]

(हॉर्न की आवाज़ के साथ ही सीढ़ियां उतर कर हाथ में टिफिन लेकर शैलजा का प्रवेश)

शैलजा – हैलो रोहन, यह तुम्हारी नयी कार है?

रोहन – यप्प! बट वेट! (शैलजा को इशारे से रुकने को कहता है) शैलजा, आय होप योर शूज आर क्लीन?

शैलजा (कुछ सकुचाकर)– मैंने आज ही जूते पॉलिश किये हैं.

रोहन – तू-ने पॉलिश किये हैं? माय गॉड, तू खुद अपने जूते पॉलिश करती है? व्हॉट डज योर मेड डू देन?

डॉली (चिढ़ाते हुए)– कम ऑन रोहन, लुक ऐट योर ओन शूज, तेरी मर्क डर्टी ना हो जाए.

रोहन (दहाड़ कर) मैं शैलजा से बात कर रहा हूं. प्लीज माइंड योर ओन बिजनेस.

अलिफ (दोनों हाथ आगे-पीछे नचाते हुए) नो मोर फाइटिंग, प्लीज.

शैलजा – यस! नो फाइटिंग प्लीज.

अलिफ – डोंट बी कॉपी कैट शैलजा.

(सब अपना बैग सम्भालते स्कूल की ओर जाते हैं)

डॉली – तूने मैथ्स का होमवर्क खत्म किया?

शैलजा – हां, क्यों?

डॉली – अरे, क्यों क्या, शॉर्ट ब्रेक में मुझे मैथ्स की कॉपी दे देना. मुझे अपने आन्सर्स चेक करने हैं.

(अचानक याद कर) तेरा मैथ्स पीरियड कब है? रिसेस के बाद ना? चल, मुझे अभी दे मैथ्स कॉपी. लंच के बाद ले लेना.

(शैलजा बड़े बेमन से कॉपी निकालती है)

डॉली – अरे बाबा, जल्दी दे न! घंटा बजने वाला है.

(शैलजा जैसे ही कॉपी उसके हाथ में देती है, स्कूल का घंटा ज़ोर से बजता है)

(संगीत)

(स्कूल की छुट्टी का घंटा टन-टन-टन बजता है. मंच की बायीं ओर से स्कूल से बच्चे बाहर निकलते हुए)

रोहन – बैड डे फॉर मी, आय गॉट टू रिमार्क्स. ये मैथ्स टीचर तो इतनी स्ट्यूपिड है- रिमार्क्स तो ऐसे देती है जैसे टॉफियां बाटं रही हो. हाफ ऑफ माय क्लास गॉट रिमार्क्स.

शैलजा – मेरे सेक्शन में तो टीचर कभी रिमार्क्स नहीं देती. इनफैक्ट, शी इज सो स्वीट.

रोहन (चिढ़ाते हुए)– योर सेक्शन इज ग्रेट, मिस शैलजा! (उसकी नकल उतारते हुए) टीचर कभी रिमार्क्स नहीं देती.

डॉली – हे गाईज़! एनफ ऑफ स्टडीन. नो मोर स्कूल टॉक्स प्लीज़! आज का रिडल क्या है?

अलिफ (हाथ खड़ा करता है)– मेरी टर्न है, रिडल सुनो. अटेन्शन!

(गला खंखारता है) व्हेन विल अ नेट होल्ड वॉटर?

शैलजा – क्या? समझ में नहीं आया. फिर से बोलो.

डॉली – इसे हिंदी में समझाओ (हंसती है)

शैलजा – अनग्रेटफुल. मैथ्स के सम्स कॉपी कर लिए और अब…

डॉली(गुस्से से) क्या बोली?

अलिफ – कब्बी एक नेट वॉटर को होल्ड करेंगा.

डॉली – हिश्श! इससे तो अच्छा है, अग्रेज़ी में ही बोल अलिफ.

अलिफ (साफ साफ उच्चारण करते हुए)-व्हेन-विल-अ-नेट-होल्ड-वॉटर?

डॉली – नेवर! इट विल ड्रेन आउट.

अलिफ – गलत, गलत.

रोहन – एट जीरो आवर.

अलिफ – व्हेन द वॉटर टर्न्स टु आइस. चलो, कल डॉली और शैलजा एक-एक फाइव स्टार लाना.

शैलजा – मुझे तो आन्सर मालूम था.

अलिफ – हा हा, मालूम था! तो बोली क्यों नहीं मैडम? नथिंग डूइंग. कल फ़ाइव स्टार लाना.

डॉली – व्हाय फाइव-स्टार? व्हेन यू लॉस्ट, यू गेव मी अ छोटा एक्लेअर ओन्ली.

अलिफ – शैलजा, तू फाइव-स्टार लाना. समझी क्या!

शैलजा – ओ के! बाय बाय!

(सब आपस में चॉकलेट-एक्लेअर को लेकर झगड़ते रहते हैं. कोई उसकी ओर ध्यान नहीं देता.)

(संगीत)

मंगलवार

[मंच के दायीं ओर से दो बच्चे हाथ में एक बैनर लेकर प्रवेश करते हैं, जिस पर मंगलवार लिखा है. मंच के बीचो बीच रुक कर वे अभिनय के साथ बोलते हैं]

पहला – आज मंगलवार है

दूसरा – मैथ्स का होमवर्क, ज्यॉग्रॉफी जर्नल

पहला – शैलजा की दरकार है.

दूसरा – आज मंगलवार है.

(रोहन और डॉली बातें करते हुए दाहिनी ओर से आते हैं. अलिफ अपने झबरे से कुत्ते को पुचकारते हुए घर के दरवाज़े से निकलता है. गाड़ी के रुकने की आवाज़.)

रोहन – हाय पप्सू (कुत्ते का कान खींचने लगता है.)

अलिफ (गुस्से से) ओफ रोहन. बिहेव योर सेल्फ. पप्सू को इरिटेट करना नईं, डोंट यू नो, स्पिट्ज आर वेरी टेम्परामेंटल. तुमको काट लेगा.

रोहन – नो, ही इज अ वेरी गुडी-गुडी बॉय. पप्सू, कम टू मी! कम पप्सू! आ जा आजा, माय गुडी बॉय!

(डॉली से) हाऊ लकी ही इज़! ही हैज सच अ लव्ली डॉग. अलिफ, थोड़ी देर के लिए लेट मी हैव हिम!

अलिफ– रोहन, पप्सू इज नॉट वेल.

डॉली – ओह! पप्सू इज देअर? (पप्सू डॉली की ओर बढ़ती है) ई-ई-ई-क! मेरी ओर मत भेजना, मेरी स्कर्ट क्रश हो जाएगी. मेरा चार्ट पेपर खराब हो जाएगा. मेरा आज आर्ट पीरियड है. …अलिफ, तू इसको क्यूं लेकर आया? ओह नो.

अलिफ – मालूम है ये मेरे को आज आने को ई नई देता था. मैं आने को लगा तो ये डोर के बाजू में बइठ गया. मैंने कितना बोला- पप्सू, प्लीज़ लेट मी गो. अइसा क्यूट-क्यूट देखता था, बस. देन ही स्टार्टेड मनाओ मी. कबी हाथ लिक किया, कब्बी जूता, बट ही डिड नॉट हिलो फ्रॉम देअर. आय हैड टु ब्रिंग हिम.

डॉली – अलिफ, शैलजा अभी नहीं आयी. हूम आर यू गोइगं टु इम्प्रेस विथ योर ग्रेट हिंदी.

अलिफ – क्यों, मै कुछ गड़बड़ बोला क्या?

(शैलजा सीढ़ियां उतर कर आती है, कुत्ता उसे देखकर भौं-भौं करता है, शैलजा डर कर दो कदम पीछे हट जाती है)

शैलजा – प्लीज़, अलिफ, आय बेग यू, उसे…

अलिफ – तू मेरी फाइव स्टार लायी?

शैलजा – सॉरी, भूल गयी, कल ज़रूर लाऊंगी.

अलिफ – पप्सू, गिव हर अ नाइस बार्क.

(पप्सू शैलजा पर ज़ोर से भौंकता है, शैलजा डर के मारे सिमट जाती है. थोड़ी देर तक यह सिलसिला चलता रहता है. सब इस तमाशे को ऐसे देखते हैं जैसे सांप और नेवले की लड़ाई देख रहे हों.)

रोहन – (मजा लेते हुए) वेल डन, पप्सू.

अलिफ – कम ऑन शैलजा! डोंट बी स्केयर्ड यार. वो कुच्छ नईं करेंगा.

रोहन – वेल डन, पप्सू.

(स्कूल का घंटा बजता है. अलिफ और रोहन बारी बारी से पप्सू को प्यार करते हैं)

अलिफ और रोहन – बाय-बाय, पप्सी.

(संगीत)

(स्कूल की छुट्टी का घंटा बजता है. मंच की बायीं ओर से अलिफ जूते हाथ में पकड़े आता है. डॉली, रोहन और शैलजा भी पीछे-पीछे आते हैं)

डॉली – ये तुमने जूते हाथ में क्यों पकड़ रखे हैं, अलिफ?

अलिफ – पुराना जूता पप्सू काट खाया. कल नवा जूता लिया, इट्स सो-ओ-ओ अनकम्फर्टेबल.

डॉली – तो क्या हुआ? तुम्हारा डार्लिंग कुत्ता है.

अलिफ (गुस्से से) – डॉली, नेव्हर अगेन यू डेअर कॉल हिम कुत्ता. समझीं क्या?

डॉली – अरे, कुत्ते को कुत्ता नहीं बोलूं तो क्या बोलूं?

अलिफ – पप्सू बोलो. जूता काटा हय तो मेरा काटा, तेरे को क्या?

डॉली – मेरे को क्या, अब नवा जूता पैर को काटता है तो काटने दो, मेरे को क्या?

शैलजा (कविता की पंक्ति दोहराती है)

काटता है जूता तो क्या हुआ,
पैर में न सही, सिर पर रख डोलो
व्यंग्य मत बोलो.

अलिफ – क्या-क्या-क्या-क्या? डॉली तो डॉली, अबी तू भी बोली.

शैलजा – मुझे तूने पप्सू से कितना डराया. आय विल टेल योर मदर. मेरा हार्ट फेल हो जाता तो?

अलिफ – तो हमारी जान छूटती तेरी खटारा फिएट से. इफ यू टेल माय मदर, आय’ल पुट यू इन द डिकी.

डॉली – नो मोर फाइटिंग, प्लीज. एनफ विथ पप्सू वप्सू.

रोहन – आज का रिडल क्या है?

डॉली – यु हैव अ चिकन हार्ट, शैलजा. चलो, रिडल बताओ. व्हाय डिड द चिकन क्रॉस द रोड?

अलिफ – सिली वन. आस्क समथिंग न्यू.

रोहन – हां, कुछ नया पूछो.

डॉली – व्हाय डू यू गो टू बेड ऐट नाइट?

(सब सोचने लगते हैं.)

अलिफ – टू स्लीप.

डॉली – जी नहीं. बिकॉज द बेड वोन्ट कम टू यू.

अलिफ(मुंह बिचकाकर) वी गो टू बेड ऐट नाइट बिकॉज द बेड वोन्ट कम टू अस. हा हा, सिली आन्सर.

डॉली – व्हेन यू डोन्ट गेट इट, इट्स ऑलवेज सिली.

(शैलजा अपने घर जाती है, हाथ हिलाती है)

अलिफ (शैलजा से) डोंट कम्प्लेन अबाउट पप्सू, समज गई ना, अदरवाइज़ नेक्स्ट टाइम यू विल हैव इट.

(संगीत)

बुधवार

[मंच के दायीं ओर से दो बच्चे हाथ में एक बैनर लेकर प्रवेश करते हैं, जिस पर बुधवार लिखा है. मंच बीचो बीच रुक कर वे बोलते हैं]

पहला – आज बुधवार है

दूसरा – व्हाय व्हाय हिंदी, हाय-हाय हिंदी

पहला – शैलजा को मिला पुरस्कार है.

दूसरा – आज बुधवार है.

(डॉली, रोहन और डॉली के पापा दायीं ओर से मंच पर आते हैं. गाड़ी के रुकने की आवाज़. अलिफ अपने दरवाज़े के सामने पप्सू को पुचकारता है.)

अलिफ – हैलो अंकल.

डॉली – अलिफ, कम फास्ट, देर हो रही है.

(अलिफ पप्सू को बाय-बाय करता हुआ डॉली के पास आता है)

रोहन – मैंने पप्सू पर एक गाना बनाया है. (गाना गाकर सुनाने लगता है)

तू चीज़ बड़ी है क्यूट-क्यूट.
तू चीज़ बड़ी है क्यूट.
पप्सू है तेरा नाम-नाम.
करता है तू आराम-राम.
मुझसे ना जाना रूठ-रूठ.
तू चीज बड़ी है क्यूट-क्यूट.
तू चीज बड़ी है क्यूट.

डॉली के पापा (खुश होकर)– वेरी गुड! एक्सलेंट!

डॉली – इससे अच्छा गाना तो मैंने बनाया है- (डॉली भी ज़ोर-ज़ोर से गाने लगती है)

रुक-रुक, रुक. अरे बाबा रुक.
ओ डिअर पप्सू, डोंट बी अ क्रुक.
मैं बोन लाई तेरे लिए, मैं कोन लाई तेरे लिए.
दांत तेरे वल्लाह वल्लाह,
बाइटिंग तेरी उफ़ उफ़ उफ़.
रोहन और अलिफ सुर में गाते हुए- उफ़ उफ़ उफ़.

डॉली के पापा – ब्रिलिएन्ट, डार्लिंग.

(गाड़ी का हॉर्न ज़ोर से बजाते हैं. शैलजा भागती हुई आती है और ज़ोर ज़ोर से छींकने लगती है)

डॉली – एक तो देर से आती है, ऊपर से छींकें मारती है.

शैलजा – सॉरी! सॉरी अंकल.

रोहन – दो बार सॉरी- देर से आने के लिए और…

अलिफ – और छींकें मारने के लिए.

डॉली के पापा – आइ न्यू, यू विल से सॉरी.

शैलजा – असल में मैं आने ही नहीं वाली थी (रूमाल में नाक सुड़कती है), मुझे बहुत ज़ोर का जुकाम हो रहा है. पर आज मेरा हिंदी एलोक्यूशन…

डॉली – तो नहीं आना था, मैडम. नाऊ प्लीज़ डोन्ट स्प्रेड इन्फेक्शन.

डॉली के पापा – नेक्स्ट टाइम बी ऑन द रोड ऐट सेवन थर्टी शार्प.

शैलजा – यस अंकल.

रोहन – अंकल, वो ‘बाजीगर’ वाला कैसेट लगाइए ना.

(टेपरिकॉर्डर पर गाना ज़ोर-ज़ोर से बजने लगता है)

डॉली – शैलजा,जा, तू कान बंद कर ले. तेरी ट्रेसी चैपमैन और ‘रोजा’ इसमें नहीं हैं.

शैलजा – नहीं, मुझे तो यह गाना पसंद है

अलिफ – ओह गुड गुड! शी हैज डेवलेप्ड सम टेस्ट फॉर गुड म्युजिक!

डॉली – शैलजा, मुझे अपना ज्यॉग्राफी का जर्नल देना. और शॉर्ट ब्रेक में जल्दी से मेरे जर्नल में बल्ब थर्मामीटर ड्रॉ कर देना.

शैलजा – अभी नहीं, लंच ब्रेक में लेना!

(डॉली गुस्से से देखती है)

डॉली – ओ.के. (फिर पापा की ओर मुड़कर) बाय-बाय पापा!

डॉली के पापा – बाय-बाय डार्लिंग

(संगीत)

(स्कूल की छुट्टी का घंटा बजता है. शैलजा अपनी प्राइज़ की किताब सबको दिखा रही है. डॉली का बड़ा भाई सबको लेने आया है.)

डॉली का भाई – चलो चलो सब लोग!

रोहन – देखो-देखो, कैसे इतरा रही है.

अलिफ – उसको बोलो, अपने प्राइज को म्यूजियम के शो केस में रख दे.

डॉली – फर्स्ट प्राइज इन हिंदी एलोक्यूशन. व्हॉट्स सो ग्रेट अबाउट इट? इंग्लिश बोलनी तो आती नहीं मैडम को. 

(शैलजा प्राइज़ की किताब हाथ में लिये है)

(शैलजा के पास आते ही सब चुप हो  जाते हैं)

शैलजा – सब चुप क्यों हैं?

रोहन – बिकॉज हमें प्राइज़ नहीं मिला.

शैलजा – पर तुमने तो कविता ही नहीं पढ़ी?

अलिफ – हा-हा! हिंदी में पोयम हा-हा!

डॉली – हा-हा, हिंदी में कविता कौन पढ़ेगा?

(शैलजा अपनी प्राइज बुक बैग में सरका देती है)

अलिफ – एनी वे, अपुन को तेरा पोएम समज में बी नई आएला हय.

रोहन – क्या मुंबइया एक्सेंट मारा बाप!

(सब हंसते हैं)

शैलजा (छींके मारती है) भैया, प्लीज, ए सी बंद कर दीजिए. मुझे ठंड लग रही है!

डॉली – ए मैडम, तेरा भैया है क्या? भ-इ-या.

डॉली का भाई – अक्टूबर की इस गर्मी में ठंड?

शैलजा – दो मिनट बाद तो तुझे उतर जाना है अपनी शास्तरीय संगीत की क्लास में. व्हाय ऑल थ्री ऑफ अस शुड सफर इन हीट?

रोहन – शैलजा के जुकाम के चक्कर में आज का रिडल तो रह ही गया.

अलिफ – डॉली, योर टर्न.

डॉली – व्हिच मूव्स फास्टर- हीट ऑर कोल्ड? इस रिडल का जवाब देकर जा, शैलजा.

शैलजा – मुझे नहीं मालूम.

रोहन – व्हेन शैलजा इज़ इन कोल्ड शी मूव्स इवन स्लोअर.

अलिफ – हीट! बिकॉज कोल्ड तो यू कैन कैच कोल्ड.

डॉली – तेरी शास्तरीय संगीत की क्लास आ गयी. चल उतर.

(शैलजा छींकती हुई जाती है)

डॉली – छींके मारती आयी थी, छींकें मारती गयी.

(सब हंसते हैं)

बृहस्पतिवार

[मंच के दायीं ओर से दो बच्चे हाथ में एक बैनर लेकर प्रवेश करते हैं, जिस पर बृहस्पतिवार लिखा है. मंच के बीचो बीच रुक कर वे बोलते हैं]

पहला – आज बृहस्पतिवार है

दूसरा – फिएट में आओ, ऑटो में जाओ,

पहला – कार उसकी बेकार है.

दूसरा – आज बृहस्पतिवार है.

(गाड़ी स्टार्ट करने की आवाज़. शैलजा और उसकी मम्मी)

शैलजा की मम्मी – तेरी तबीयत ठीक नहीं लग रही!

शैलजा – आज तो टेस्ट है मां, जाना ही पड़ेगा. वैसे भी आज आपकी टर्न है, टर्न तो मिस नहीं कर सकते ना

शैलजा की मम्मी – तूने मल्टी विटामिन की टेबलेट ले ली या नहीं?

शैलजा – है मेरे पास!

शैलजा – चलो अलिफ.

(अलिफ एक ओर से आता है. रोहन और डॉली भी दाई ओर से उनके पास आ जाते हैं)

(गाड़ी के झटके से रुकने की आवाज़)

रोहन (खीझते हुए) – शिट! व्हाय डोन्ट यू गेट योर कार रिपेयर्ड?

शैलजा – रोहन, हैव सम मैनर्स. फर्स्ट से ‘हलो’ टु माय मदर.

रोहन – ओह, हलो आंटी!

शैलजा – अगले महीने हमारी नयी कार भी आ रही है. देन यू विल बी हैपी?

रोहन – ओ ग्रेट, कौन-सी? मारुति वन थाउजेन्ड?

शैलजा – नहीं, फाइव थाउजेन्ड!

रोहन – वो कौन-सा ब्रैंड है?

शैलजा – उफ़ रोहन!

रोहन – हे किड्स! एक मजेदार बात सुनो! एक एस्ट्रॉलॉजर मेरे घर पर आया था. मेरा हाथ देखकर बोला- इसके पास पांच गाड़ियां होंगी.

अलिफ – बस, पांच गाड़ियां? आय’ल हैव डजन कार! पूरी बारह!

(दोनों हाथों को खोलकर दसों उगंलियां दिखाता है)

डॉली – पर एक बार में तो एक ही कार चलाएगा ना तू? एक साथ दो तो नहीं चला सकता?

अलिफ – एक दिन मर्सडीज चलाएगा, दूसरा दिन टोयोटा, तीसरा दिन हॉन्डा, फिर… कॉन्टेसा, टेन डेज ऑल डिफरेन्ट कार्स.

रोहन – सी, आय विल बी द रिचेस्ट. डॉली द थर्ड एंड शैलजा इज द पूअरेस्ट (गाड़ी के दुबारा झटके से रुकने की आवाज़) पता है, हम खंडाला में एक और बंगला लेनेवाले हैं, महाबलेश्वर में तो हमारा ह्यूज बंगला है. लास्ट टाइम मैंने अपना बर्थ-डे ‘द रिट्रीट’ में सेलिब्रेट किया था. इस टाइम खंडाला में करेंगे. ऑल ऑफ यू कम! वी विल हैव फन. (दोनो बांहें फैलाता है) यू नो, वी हैव प्लेन्टी ऑफ मनी.

डॉली – ओह, कम ऑन रोहन, व्हाय यू ऑलवेज टॉक अबाउट मनी?

रोहन – व्हाय शूडन्ट आय टॉक अबाउट मनी? आय लव मनी. आय हैव मनी. आय ड्रीम अबाउट मनी, आय काउन्ट मनी एवरी नाइट. मेरे डैड चारों शॉप्स से इतने-इतने कैश के बंडल लेकर आते हैं.

शैलजा की मम्मी – पर बच्चो, इस उम्र में पैसे की नहीं, पढ़ाई की बातें करो. ‘मनी’ के बारे में सोचने के लिए तो सारी उम्र पड़ी है.

अलिफ और रोहन – नहीं आंटी, आपने वो गाना नहीं सुना? (दोनों सुर मिलाकर गाना गाते हैं)

ये दुनिया क्या चाहे – मनी मनी!
यहां रिश्ते- नाते- मनी मनी!
प्यार चाहो तो निकालो मनी!
यार चाहो तो…
अलिफ और रोहन- चलो चलो, स्कूल आ गया.

(शैलजा अपनी मम्मी को प्यार करती है)

अलिफ और रोहन – चलो बेबी, चलो.

(संगीत)

[स्कूल की छुट्टी का घंटा बजता है]

शैलजा – रोहन, अलिफ, जल्दी करो. मम्मी इंतजार कर रही है. रोहन, क्या हो रहा है? हर बार मम्मी को खड़े रहना पड़ता है. किसी दिन हम तुम्हें यहीं स्कूल में छोड़कर चले जाएंगे. रोहन, अलिफ, वी विल लीव यू एंड गो.

रोहन – सो व्हॉट? गो! हमें तेरे खटारा ऑटो में जाना भी नहीं है.

(नखरे करते करते तीनों बेमन से आते हैं. शैलजा अपना बैग मम्मी को थमाती है और मम्मी की बांह पर सिर टिका देती है.)

शैलजा की मम्मी – तुझे तो बुखार है.

रोहन – आंटी, मैं बीच की सीट में नहीं बैठूंगा. आय फील सफोकेटेड.

अलिफ – नो, आय विल सिट इन द कॉर्नर!

शैलजा की मम्मी – ठीक है, शैलजा बीच में बैठेगी.

(शैलजा को बीच में धकेल कर सब बैठ जाते हैं.)

अलिफ – रिडल बोल.

रोहन – व्हाय द ब्रिज इज लाइक मनी?

डॉली – तुम लोगों का मनी का बुखार अभी तक उतरा नहीं?

रोहन – ए ए, तू चुप कर. व्हाय द ब्रिज इज लाइक मनी?

(सब चुप रहते हैं. किसी को जवाब नहीं मालूम.)

रोहन – द ब्रिज इज लाइक मनी, बिकॉज दे बोथ गो बैंक टु बैंक.

अलिफ – स्टॉप दैट सिली रिडल.

(अलिफ एक कागज़ का टुकड़ा थमाता है.)

लुक! इस पर चार चेहरे बने हैं- बताओ, व्हिच इज द ऑड मैन आउट?

रोहन – हुंह, इसे बताना कौन-सा मुश्किल है.

(सब शैलजा की तरफ देखते हैं और हंसते हैं.)

शुक्रवार

[मंच के दायीं ओर से दो बच्चे हाथ में एक बैनर लेकर प्रवेश करते हैं, जिस पर शुक्रवार लिखा है. मंच के बीचो बीच रुक कर वे बोलते हैं]

पहला – आज शुक्रवार है

दूसरा – मेढ़की को जुकाम हुआ था

पहला – अब उसको बुखार है.

दूसरा – आज शुक्रवार है.

(मंच के एक ओर पलंग रखा है, जिस पर शैलजा लेटी है. उसकी मम्मी आकर उसके माथे पर हाथ रखती है और उसके मुंह से थर्मामीटर निकालती है.)

शैलजा की मम्मी – इतना तेज़ बुखार कैसे हो गया? कहीं स्कूल में कुछ गड़बड़ खाया तो नहीं था?

(शैलजा सिर हिलाती है.)

शैलजा की मम्मी – रोहन और डॉली की कार में ए.सी. चलाया हुआ था क्या?

शैलजा (कुछ रुककर) – नहीं तो

शैलजा की मम्मी – सच बता बेटा.

शैलजा – कार में ए.सी. चलाने के लिए ही होता है न मां. उन्हें ए.सी. के बिना घुटन महसूस होती है.

शैलजा की मम्मी – घुटन…? कहो कि सुबह-सुबह भी बाहर की ताज़ी हवा उन्हें अच्छी नहीं लगती. तूने झूठ क्यों बोला कि ए.सी. से तबीयत नहीं बिगड़ी तेरी.

शैलजा – सच बोलूं तो आप और पापा झगड़ने लगोगे. आप पापा को डांटेगे कि इतने पॉश इलाके में कम्पनी फ्लैट क्यों लिया और पापा आपको, कि फ्लैट लिया सो लिया पर इतने हाई फाई स्कूल में बेटी को भेजने का जोश आखिर किसको चढ़ा था.

शैलजा की मम्मी (बनावटी गुस्से से) – अच्छा, तो आप सब सुनती रहती हैं.

(फोन की घंटी बजती है)

शैलजा की मम्मी – हलो

रोहन की मम्मी – हलो मिसेज शर्मा, मैं रोहन की मम्मी बोल रही हूं. प्लीज़ डोंट माइंड, आपको आफ्टरनून टर्न में गाड़ी नहीं मिलती तो बच्चों को कैब में लेकर आइए. उस वक्त टैक्सियां बहुत मिलती हैं. बच्चे ऑटो में बहुत सफोकेटेड महसूस करते हैं. प्लीज, यू हैव टु अरेंज समथिंग…

(शैलजा चुपचाप सुन रही है)

(नेपथ्य में शैलजा की आवाज़ में कविता की पंक्तियां बजती हैं.)

कुछ सीखी गिरगिट से
जैसी शाख वैसा रंग
जीने का यही है सही ढंग!
अपना रंग दूसरों से अलग पड़ता है तो
उसे रगड़ धो लो.
जैसी है दुनिया
उसके साथ हो लो.
व्यंग्य मत बोलो.

शैलजा – मां, किसका फोन था?

शैलजा की मम्मी – रोहन की मम्मी का.

शैलजा – फिर?

शैलजा की मम्मी – फिर क्या! आगे से हमारी बेटी ए.सी. की हवा में नहीं जाएगी, हम सुबह की ताज़ी हवा अपने भीतर भरते हुए जाएंगे- धीरे-धीरे…

(शैलजा अपनी मम्मी का हाथ पकड़कर खड़ी हो जाती है और गर्व से आगे कदम बढ़ाती है.)

क्या रखा है कुरेदने में,
हर एक का चक्रव्यूह भेदने में
सत्य के लिए
निरत्र टूटा पहिया ले
लड़ने से बेहतर है
जैसी है दुनिया
उसके साथ हो लो.
व्यंग्य मत बोलो

(मंच पर सभी पात्र आ जाते हैं. नेपथ्य में शैलजा की आवाज़ में कविता की पंक्तियां बजती रहती हैं.)

(जनवरी 2014)

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