हेलन की आत्मकथा

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हेलन की आत्मकथा

(धारावाहिक  –  4  भागों में )

सुधीर निगम

इतिहास में बस एक संक्षिप्त-सा उल्लेख मिलता है कि एक संधि के तहत सेल्यूकस की पुत्री का विवाह चंद्रगुप्त मौर्य से हुआ था. यही वह छोटा-सा आधार है कि जिस पर कार्नेलिया या हेलन के आत्मकथ्य का यह भवन खड़ा किया गया है. इसमें एक ओर जहां तत्कालीन भारतीय संस्कृति के स्वरों, राजकीय व्यवस्थाओं, सामाजिक व्यवहारों, नैत्यिक परंपराओं और जीवन-पद्धतियों का इतिहास झांकता है, वहीं व्यक्तिगत सोच, रहन-सहन की शैली में कल्पनाओं के रंग भी भरे हैं.

इसमें मौर्यकालीन इतिहास के कई अनुत्तरित प्रश्नों के समाधानपरक उत्तर खोजने का प्रयास किया गया है. सिकंदर के आक्रमणों की मनोवैज्ञानिक पृष्ठभूमि, उसके गुणावगुण, यूनान की तत्कालीन अनुदार सामाजिक-राजनीतिक और शैक्षणिक पृष्ठभूमि की झांकी भी इसमें मिलेगी. और शायद इसका आभास भी मिलेगा कि इतिहास किस तरह खुद को दोहराता है. विदेशी मूल से शुरू हुई यह कहानी विदेशी मूल के आज के शोर तक पहुंचती है.

 

धारावाहिक – भाग – 2