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renu saini – नवनीत हिंदी http://www.navneethindi.com समय... साहित्य... संस्कृति... Mon, 20 Apr 2015 11:32:57 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8 http://www.navneethindi.com/wp-content/uploads/2022/05/cropped-navneet-logo1-32x32.png renu saini – नवनीत हिंदी http://www.navneethindi.com 32 32 प्रभु का संरक्षण http://www.navneethindi.com/?p=1709 http://www.navneethindi.com/?p=1709#comments Mon, 20 Apr 2015 11:27:35 +0000 http://www.navneethindi.com/?p=1709 Read more →

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♦   रेनू सैनी   >  

एक यहूदी फकीर रेत पर चला जा रहा था. जब वह काफी आगे तक चला आया तो सहसा उसकी नज़र पीछे की ओर चली गयी. उसने पीछे मुड़कर देखा तो यह देखकर हैरान रह गया कि रेत पर तो वह अकेला चल रहा था किंतु पीछे-पीछे चार पैरों के निशान थे. आश्चर्य से यहूदी फकीर इधर-उधर देखने लगा और सोचने लगा. किसी के दर्शन नहीं हुए तो उसने स्वयं से प्रश्न किया, जब मेरे कठिनाई भरे दिन थे, मैं अत्यंत मुसीबत में था, मुझसे कोई बात  तक करना पसंद नहीं करता था. तब भी मैं अक्सर इस रेत पर चलता था और तब मुझे कभी भी अपने पीछे चार पैर नज़र नहीं आये. रेत पर केवल मेरे पदचिह्नों की ही छाप होती थी. तो इसका क्या यह अर्थ हुआ कि मुसीबत में ईश्वर भी साथ छोड़ देता है. आज मैं सुखी और प्रसन्न हूं तो वह मेरे साथ-साथ चला आ रहा है. यह विचार आते ही यहूदी फकीर को आकाशवाणी सुनाई दी, ‘नहीं, बेटा नहीं. तुम गलत सोच रहे हो?’ आकाशवाणी की आवाज़ पर यहूदी फकीर बोला, ‘तो फिर सच क्या है? आप ही बताइए.’ फकीर के कानों से आवाज़ टकरायी, ‘जब तू सुख में होता है, मैं तेरे साथ चलता हूं. ऐसे में दो पांव के निशान तुम्हारे और दो मेरे. मुसीबत में जब तुझे सब छोड़ गये थे, मैंने नहीं छोड़ा. उस समय मैं तुम्हें अपनी गोद में लेकर चलता रहा. तुम्हें मां जैसा प्यार और वात्सल्य देता रहा, तुम्हें सुख की छांव देता रहा. उस दुख के समय तुम्हारे पांव के निशान तो रेत पर पड़े ही नहीं. मैं तुझसे कभी विमुख नहीं हुआ, मुसीबत में भी नहीं.’ यह सुनकर उसके कानों से फिर आवाज़ टकरायी, ‘हां लेकिन इतना अवश्य याद रखना कि मुसीबत और पीड़ा में कभी हिम्मत न हारना, यह न कहना कि मेरे साथ कोई नहीं है. मैं हर पल तुम्हारे साथ हूं. दुख और पीड़ा जीवन का हिस्सा हैं, यदि तुम उन्हें धैर्य और शांतिपूर्वक सामान्य तरीके से हल करोगे तो जीवन में सफलता पाओगे और यदि विचिलत होकर गलत मार्ग पर बढ़ोगे तो मेरी गोद से गिर पड़ोगे, फिर तुम्हें मैं नहीं बचा पाऊंगा. मैं तब तक तुम्हारे साथ हूं जब तक तुम नेकी, ईमानदारी और मेहनत से अपना काम करते हो.’ इसके बाद आकाशवाणी की गूंज समाप्त हो गयी.

(फ़रवरी, 2014)

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