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स्वयं प्रकाश – नवनीत हिंदी http://www.navneethindi.com समय... साहित्य... संस्कृति... Wed, 25 Feb 2015 11:24:46 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8 http://www.navneethindi.com/wp-content/uploads/2022/05/cropped-navneet-logo1-32x32.png स्वयं प्रकाश – नवनीत हिंदी http://www.navneethindi.com 32 32 नवम्बर 2008 http://www.navneethindi.com/?p=1439 http://www.navneethindi.com/?p=1439#respond Wed, 25 Feb 2015 11:20:10 +0000 http://www.navneethindi.com/?p=1439 Read more →

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Nov 08

शब्द-यात्रा

भाषा में आतंक
आनंद गहलोत

पहली सीढ़ी 

ओ सूरज!
स्वामी संवित् सोमगिरि

आवरण-कथा

कब अपने कहलायेंगे अपनी बस्ती के बच्चे
रमेश थानवी
मासूम बचपन पर कुपोषण की मार
भुवेंद्र त्यागी
बच्चों को छोटे हाथों से चांद -सितारे छूने दो
सरोज बाला चंदोला
बच्चे काम पर जा रहे हैं
विजय कुमार
ऐसे भी जीता है बचपन
एन. भानुतेज
बच्चों के बारे में कुछ बेतरतीब नोट्स
स्वयं प्रकाश
यह भी बचपन !
सुधा अरोड़ा

मेरी पहली कहानी

एक चुप्पी क्रॉस पर चढ़ी
प्रभु जोशी

आलेख

स्त्री की वैचारिक अभिव्यक्ति पर जड़े तालों का सत्य
चित्रा मुद्गल
नेहरू का अंतर्द्वंद्व
विश्वनाथ
जब-जब उनसे मिला… अनेरा ही पाया उन्हें
मार्तण्ड उपाध्याय
साहित्य साधना की सफलता-सार्थकता का अर्थ
कुसुमाग्रज
मध्य प्रदेश का राज्यपक्षी – दूधराज
डॉ. परशुराम शुक्ल
‘सुब्हे बनारस’ का एक मतलब यह भी
डॉ. प्रमोद कुमार सिंह
…ताकि प्रभु की स्तुति में हाथ उठा सकें
संत राजिंदर सिंह
बदलती वैश्विक सभ्यता की बिंदास अभिव्यक्ति का हस्ताक्षर
ज्यां मॅरी गुस्ताव ली क्लेजियो
डॉ. कृष्ण कुमार रत्तू

व्यंग्य

गुमशुदा
दीवान तलदार

किताबें

धारावाहिक-उपन्यास (भाग-6)

महात्मा विभीषण
सुधीर निगम 

अध्यक्ष का सम्बोधन

 धरोहर

ईदगाह (कहानी)
प्रेमचंद

कविताएं

दो कविताएं
यज्ञ शर्मा
बचपन मेरा वापस ला दो
कैलास पंडित
बच्चे हंस रहे हैं
वसंत आबाजी डहाके
बच्चों की चित्रकला प्रतियोगिता
राजेश जोशी

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जनवरी 2011 http://www.navneethindi.com/?p=863 Fri, 26 Sep 2014 05:40:34 +0000 http://www.navneethindi.com/?p=863 Read more →

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Jan 2011 Coverइस बार हम आपके लिए हिंदी की उन कथाओं का गुलदस्ता लेकर उपस्थित हैं, जिन्होंने स्वतंत्रता-प्राप्ति के बाद के काल में हमारे कथा-साहित्य के बगीचे को महकाया है. ‘नवनीत’ का यह विशेषांक ऐसी ग्यारह कहानियों का संकलन है, जिन्होंने हमारे कथा-साहित्य को नयी दिशाएं दी हैं. इन कहानियों का चयन भी हिंदी के वरिष्ठ कथाकारों ने किया है. विशेषता यह है कि वे कुछ कथाओं को मील का पत्थर सिद्ध करने वाले अपने चयन का आधार भी बता रहे हैं. ऐसा नहीं है कि सिर्फ़ यही कहानियां हमारी पिछले पचास-साठ साल की कथा-यात्रा का मील का पत्थर हैं, यह तो सिर्फ़ एक बानगी है उन कथाओं की जो इस यात्रा में मोड़ बनने या मोड़ लाने का कारण बनी हैं.

शब्द-यात्रा

श्रीगणेश करें या बिस्मिल्लाह
आनंद गहलोत

पहली सीढ़ी

नूतन वर्षाभिनंदन
रेणु

आवरण-कथा

मील का पत्थर
सम्पादकीय
हिंदी कहानी की आधी सदी
स्वयं प्रकाश
यथार्थ और उससे आगे भी
कमलेश्वर
कालजयी साहित्य की पहचान
रमेशचंद्र शाह
नयी पीढ़ी और समकालीन सच
विनोद तिवारी

मंतव्य

छलकते मानवीय सरोकार का कुरुक्षेत्र
गिरिराज किशोर
सच्चे मोतियों की आब है इसमें
अचला नागर
अकेला थरथराता पीला पत्ता
प्रभु जोशी
और समूचा भारतीयपन आलोकित हो गया
गंगा प्रसाद विमल
घटना की ओट में छिपी कहानी
ध्रुव शुक्ल
अपने समय की विशेष बोल्ड रचना
सुधा अरोड़ा
फैंटेसी और यथार्थ की सीमाएं धुंधलाती कहानियां
विष्णु नागर
सचमुच फ़र्क पैदा करनेवाली कहानी
रमेश उपाध्याय
व्यवस्था और मोहभंग का त्रास
ओमा शर्मा
कई कई भेद खोलता है  छप्पन तोले का करधन
मधुसूदन आनंद
अविस्मरणीय बनने की सामर्थ्य
अखिलेश

कहानी

धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे
फणीश्वरनाथ रेणु
मौकापरस्त
भीष्म साहनी
बीच बहस में
निर्मल वर्मा
जॉर्ज पंचम की नाक
कमलेश्वर
एक जीता-जागता व्यक्ति
रघुवीर सहाय
यही सच है
सुधा अरोड़ा
शाह आलम कैम्प की रूहें
असगर वजाहत
फ़र्क
इसराइल
अपराध
संजीव
छप्पन तोले का करधन
उदय प्रकाश
परिंदे का इंतज़ार-सा कुछ…
नीलाक्षी सिंह

आवरण-चित्र

चरन शर्मा

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