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सुधीर माणिक्य – नवनीत हिंदी http://www.navneethindi.com समय... साहित्य... संस्कृति... Fri, 23 Sep 2016 10:37:13 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.1 http://www.navneethindi.com/wp-content/uploads/2022/05/cropped-navneet-logo1-32x32.png सुधीर माणिक्य – नवनीत हिंदी http://www.navneethindi.com 32 32 अगस्त 2012 http://www.navneethindi.com/?p=742 Wed, 17 Sep 2014 09:28:01 +0000 http://www.navneethindi.com/?p=742 Read more →

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August 2012 Cover 1 & 4आज़ादी की लड़ाई के दौरान भारतमाता की जय का नारा लगाने वाले युवाओं से जवाहरलाल नेहरू ने एक बार पूछा था, यह भारतमाता है क्या? फिर स्वयं ही इसका उत्तर भी दिया था उन्होंने- इस देश की करोड़ों-करोड़ें जनता ही भारतमाता है, इसलिए भारतमाता की जय का अर्थ इस जनता की जय है. फिर उन्होंने जनता की जय का अर्थ भी समझाया था- जनता की जय का मतलब होता है, जनता के सपनें, आशाओं, आकांक्षाओं की पूर्ति. मुझे लगता है जो कुछ नेहरू ने भारतमाता के संदर्भ में कहा था, वही सब भारत पर भी लागू होता है. आसेतु हिमालय और असम से राजस्थान तक फैला भू-भाग भारत का ही नक्शा बनाता है, लेकिन इस नक्शे में यदि देश की जनता का रंग नहीं भरा गया तो निष्प्राण रहेगा यह नक्शा. देश की जनता की आशाओं-आकांक्षाओं, सपनों-संकल्पों के रंग ही इसे एक जीवंत राष्ट्र बनाते हैं. देश की 120 करोड़ जनता ही इस देश की परिभाषा है.

देश का इतिहास, देश की भाषाएं, देश की संस्कृति, देश का अतीत, देश के आदर्श और मूल्य, इन सबका महत्त्व अपनी जगह है. उसे नकारना या कम आंकना गलत होता. लेकिन हमारा वर्तमान और उसके आधार पर बनने वाला भविष्य ही हमारे होने को अर्थ देगा, हमारी परिभाषा को सार्थक बनायेगा.

 

कुलपति उवाच

ईश्वरपद तक चढ़ना होगा
के. एम. मुनशी

शब्द-यात्रा

 ‘पात्र’ बर्तन से लेकर रंगमंच तक
आनंद गहलोत

पहली सीढ़ी

यह नहीं मेरी विनय
रवींद्रनाथ ठाकुर

आवरण-कथा

सम्पादकीय
मर-मर कर जीता है मेरा देश
रमेश नैयर
भारत की शक्ति का अमृत स्रोत
कैलाशचंद्र पंत
हम समझना ही नहीं चाहते
विष्णु नागर
एक व्यापक सांस्कृतिक इकाई
सच्चिदानंद जोशी
कैरियर या राष्ट्र
प्रेम जनमेजय
कुमारस्वामी का भारत चिंतन
विद्यानिवास मिश्र
मेरी पहली कहानी
उसका आकाश
राजी सेठ

60 साल पहले

आप भाग्य पर नाराज़ क्यों हैं?
सुधीर माणिक्य

आलेख

भूमंडलीय यथार्थ और साहित्यकार की प्रतिबद्घता
रमेश उपाध्याय
‘मेरी कविता को बात करने का समय दें’
भगवत रावत
इस अगाध में होऊं मैं बस बढ़ते ही जाने का बंदी
रमेशचंद्र शाह
सौ साल पहले हुई थी ‘भारत-भारती’ की रचना
मैथिलीशरण गुप्त
शिक्षा का अधिकार
होमी दस्तूर
राजस्थान का राज्यवृक्ष- खेजड़ी
डॉ परशुराम शुक्ल
‘कृष्ण’ होने का अर्थ
डॉ दुर्गादत्त पाण्डेय
हिरोशिमा का दर्द
तोमोको किकुचि
किताबें
महाभारत जारी है
आदि विद्रोही
प्रभाकर श्रोत्रिय

व्यंग्य

भारत की उलटबांसी
यज्ञ शर्मा

धारावाहिक उपन्यास

कंथा (छब्बीसवीं किस्त)
श्याम बिहारी श्यामल

कविताएं

भारतवर्ष
इब्बार रब्बी
प्रकृति
विशाल त्रिवेदी
दो गीत
नंद चतुर्वेदी
दो ग़ज़लें
सूर्यभानु गुप्त

कहानियां

कसक
विमला मल्होत्रा
सार्थकता (बोधकथा)
बालकृष्ण गुप्ता ‘गुरु’

समाचार

भवन समाचार
संस्कृति समाचार

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