Deprecated: Optional parameter $depth declared before required parameter $output is implicitly treated as a required parameter in /home3/navneeth/public_html/wp-content/themes/magazine-basic/functions.php on line 566

Warning: Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home3/navneeth/public_html/wp-content/themes/magazine-basic/functions.php:566) in /home3/navneeth/public_html/wp-includes/feed-rss2.php on line 8
डॉ. गरिमा भाटिया – नवनीत हिंदी http://www.navneethindi.com समय... साहित्य... संस्कृति... Tue, 24 Feb 2015 06:42:59 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.1 http://www.navneethindi.com/wp-content/uploads/2022/05/cropped-navneet-logo1-32x32.png डॉ. गरिमा भाटिया – नवनीत हिंदी http://www.navneethindi.com 32 32 जून 2014 http://www.navneethindi.com/?p=571 http://www.navneethindi.com/?p=571#respond Sat, 23 Aug 2014 05:55:53 +0000 http://www.navneethindi.com/?p=571 Read more →

]]>
Final Cover for ctpहर साल जून के महीने में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पर्यावरण दिवस मनाकर मनुष्यता को इस खतरे से सावधान करने की कोशिश होती है. लेकिन इस खतरे को समझने और इससे बचने की कोशिश वर्ष में एक दिन नहीं, वर्ष के हर दिन की अनिवार्य आवश्यकता है. इस खतरे को निमंत्रण हम स्वयं देते हैं, इसलिए इससे बचने का दायित्व भी हमारा ही है. हमें ही समझना है कि हमारे किस किस काम से हमारा वायुमण्डल ज़हरीला होता जा रहा है, और यह भी हमें ही समझना है कि इस ज़हर के परिणामों से बचने के लिए हम क्या कर सकते हैं. हम हवा में ज़हर फैला रहे हैं, हम अपने कृत्यों से धरती का तापमान खतरनाक स्तर तक बढ़ा रहे हैं. प्लास्टिक जैसी सामान्य-सी लगने वाली चीज़ से लेकर आण्विक विकिरण तक की खतरनाक प्रक्रिया से उलझने का दोष हमारा अपना है. हमारे पूर्वजों ने हमें जो कुछ विरासत में दिया उसके बदले हम आने वाली पीढ़ी को जीवन के खतरों की सौगात सौंप रहे हैं. कैसे बचा सकते हैं जीवन को विनाश के इस खतरे से? इसी प्रश्न का उत्तर तलाशने की कोशिश है इस अंक की आवरण-कथा. वस्तुतः यह स्वयं को बचाने की कोशिश है. आइए, इस कोशिश को सफल बनायें- ताकि जीवन जी सके!

कुलपति उवाच

चातुर्वर्ण्य स्वभाव का वर्गीकरण है
के.एम. मुनशी

शब्द यात्रा

पसंद की चाह- 2
आनंद गहलोत

पहली सीढ़ी

आस्था
हरमन हेस्से

आवरण-कथा

सम्पादकीय
धरती मर भी सकती है…

गोपालकृष्ण गांधी
धरती का बुखार
अनुपम मिश्र
धरती अपने बच्चों का कर्ज है हम पर
डॉ. गरिमा भाटिया
प्रकाश में छुपा घुप्प अंधेरा
मैथ्यू थामस
बेहतर भविष्य के लिए
राजेंद्र पचोरी
विकास और पर्यावरण का संतुलन ज़रूरी है
अजय कुमार सिंह
दस पुत्र एक वृक्ष समान
शुकदेव प्रसाद

धारावाहिक आत्मकथा

सीधी चढ़ान (सत्रहवीं किस्त)
कनैयालाल माणिकलाल मुनशी

व्यंग्य

छुट्टी पर नहीं गये छेदी लाल
जसविंदर शर्मा

आलेख

साहित्य का स्व-भाव
विश्वनाथ प्रसाद तिवारी

नर्मदा तट पर लगने वाले मेले और भारतीय मिथ
मेजर जनरल विलियम स्लीमेन
अमीर खुसरो का भारत
डॉ. कृष्ण भावुक
दक्ष सुता का शाप
कौस्तुभ आनंद पन्त
स़िर्फ एहसास है ये…
डॉ. धर्मवीर भारती
अभी बहुत काम करना है- गुलज़ार
दामोदर खड़से
अंडमान-निकोबार द्वीप समूह का राज्यवृक्ष : अंडमान पैडाक
डॉ. परशुराम शुक्ल
मैं जो कुछ हूं शर्मिंदा हूं
डॉ. दुर्गादत्त पांडेय
जीवन के कमल-पत्र पर ओस का एक कण
मृणालिनी साराभाई
मां का आंचल
लाजपत राय सभरवाल
किताबें

कहानियां

बेदखल
सुधा अरोड़ा

एक सार्थक सच
हिमांशु जोशी

कविताएं

सम्भावना         
प्रभा मजुमदार
पृथ्वी के लिए           
रणजीत
भुतहा चांदनी            
जनार्दन
जंगल            
हूबनाथ
सृष्टि के आखिरी…
शरद रंजन शरद
दो ग़ज़लें               
सूर्यभानु गुप्त

समाचार

भवन समाचार
संस्कृति समाचार

]]>
http://www.navneethindi.com/?feed=rss2&p=571 0