Door kahin paas

दूर कहीं से पास

स्वामी संवित् सोमगिरि

शिवार्चन प्रकाशन

मूल्य – 125/-

तेईस वर्षों तक अर्बुदांचल की तपोभूमि में वेदांत अध्ययन एवं धर्मसाधना के अपने अनुभव को स्वामी संवित् सोमगिरि ने काव्यात्मक रूप दिया है. संग्रह की कविताएं जिज्ञासु साधक की अलौकिक यात्रा का सबिंब परिचय कराती हैं. कविताएं परमात्मा की मातृत्व रूपी सत्ता का जीवंत प्रमाण हैं. जीवन और जगत के गूढ़ रहस्यों से संबंधित अनिश्चितताओं को खत्म कर एक राह दिखलाती हैं. आम आदमी के जीवनानुभवों और चुनौतियों की धीर-गंभीर प्रस्तुति इन कविताओं में हुई है.

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