सृजन-धर्म कवि हूं- कथ्य पर जिंदा. कि रोगी से नहीं हूं कम, जो अपने पथ्य पर जिंदा कि कवि/रोगी न होना चाहता हूं अगर, आदत डालनी होगी मुझे कि मैं रह सकूं सामर्थ्य पर, निज सत्य पर जिंदा. ♦ अरविंद कुमार जोशि (मार्च 1971)