सितम्बर 2018

कुलपति उवाच 

03   आसुरी उद्विग्नता

     के.एम. मुनशी

अध्यक्षीय

04   संस्कृति की परिभाषा

     सुरेंद्रलाल जी. मेहता

पहली सीढ़ी

11   कैसा देश बिराना

     कबीर

आवरण-कथा

12   कबिरा खड़ा बज़ार में…

     सम्पादकीय

14   बाज़ार के जंगल में अकेला कबीर

     विजय कुमार

19   आंखिन देखी कहने वाले कबीर की दूरदृष्टि

     विश्वनाथ त्रिपाठी

23   तब होंगे हम कबीर के वंशज

     हूबनाथ पाण्डेय

27   मेरे बचपन का कबीर

     लीलाधर मंडलोई

30   हद बेहद दोऊ तजै – कबीर की साधना

     पुरुषोत्तम अग्रवाल

41   जौ कलिनाम कबीर न होते

     पीपा

42   साधो देखो जग बौराना

     ओशो

व्यंग्य

51   कबीरा, काहे खड़ा बाज़ार !

     प्रेम जनमेजय

123  चलती चक्की देखकर

     शशिकांत सिंह `शशि

शब्द-सम्पदा

126  गोबरगणेश का चिंतन अर्थात गोबरवाद

     अजित वडनेरकर

आलेख 

59   अष्टम अनुसूची और भारतीय भाषाएं

     डॉ. राजेश्वर उनियाल

64   गंगा जमुनी तहज़ीब की नींव

     अशोक महेश्वरी

71   लूका को हिंदी से प्यार हो गया है

     मीनाक्षी जोशी

76   बड़ेपन का अहसास देने वाला नेता

     प्रताप भानु मेहता 

86   नीम की छाया

     प्रयाग शुक्ल

97   पीले फूल कनेर के…

     डॉ. जयश्री सिंह

104  स्टार्च लगाने से घायल हो  जायेगा यह कपड़ा!

     निर्मला डोसी

109  ऐसे मिले विश्वभारती  को क्षितिमोहन सेन

     डॉ. रामशंकर द्विवेदी

118  सबसे बड़ा जीव नीली ह्वेल

     डॉ. परशुराम शुक्ल

128  बड़े पागल समय की कहानी

कथा

55   लोहे का गेट

     रामस्वरूप अणखी

80   फुलफुलमाई

     वंदना शुक्ला

89   तीसरी मुलाकात

     डॉ. निकुंज

130  पागलखाना (उपन्यास-अंश)

     ज्ञान चतुर्वेदी

138  किताबें

कविताएं

75   पिंजड़ा

     नरेंद्र बोडके

84   दो कविताएं

     राम जैसवाल

समाचार

140  भवन समाचार

144  संस्कृति समाचार

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *