सितम्बर 2012

Sept 2012 Cover 1 & 4 fnlभाषा के विकास के लिए ज़रूरी भी है यह. लेकिन जिस तरह अंग्रेज़ी हमारी भाषाओं पर हावी होती जा रही है या कहना चाहिए उसे हावी किया जा रहा है, वह सिर्फ़ चौंकाने वाली बात नहीं, चिंता की बात भी है. चिंता इसलिए कि अंग्रेज़ी का यह आक्रमण हमारी भाषाओं की प्रकृति और प्रवृत्ति दोनों पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है. वैश्वीकरण और कम्प्यूटरीकरण की दुहाई देकर हमारी भाषाओं पर अंग्रेज़ी थोपी जा रही है. लेकिन सचाई यह भी है कि हमें कहीं न कहीं यह अहसास भी कराया जा रहा है कि अंग्रेज़ी आधुनिकता की प्रतीक है; कि अंग्रेज़ी उच्चता का प्रमाणपत्र है. जहां तक भारत का सवाल है, अंग्रेज़ी के साथ यह भाव भी जुड़ा हुआ है कि यह शासकों की भाषा है. इसलिए, अंग्रेजी बोलकर अथवा अपनी भाषा को अंगेज़ी शब्दों की रंगीन चादर ओढ़ाकर हम अपने कद को बढ़ा हुआ महसूस करने लगते हैं. कहने को इसे उच्चता की भावना कह सकते हैं पर वस्तुतः इसमें हमारी हीन भावना ही परिलक्षित होती है.

 

कुलपति उवाच

जो मेरा है
के. एम. मुनशी

शब्द-यात्रा

‘प्रभाव’ पर भारी पड़ता ‘असर’
आनंद गहलोत

पहली सीढ़ी

सात सुरों सधना है…
हरीश भादानी

आवरण-कथा

सम्पादकीय
आज की हिंदी, आज की चुनौतियां
प्रियदर्शन
प्रश्न गुलामी की वृत्ति से मुक्त होने का है
न्यायमूर्ति चंद्रशेखर धर्माधिकारी
वैसी हिंदी लेकिन चलेगी नहीं
बलराम
भाषा में दिखता है समाज का सत्य
अभिमन्यु अनत
इस्तेमाल से बनती है भाषा
डॉ. राममनोहर लोहिया
सवाल भारतीय भाषाओं के विकास का
नारायण दत्त
देवनागरी बन सकती है राष्ट्रलिपि
डॉ. रामनिरंजन परिमलेंदु

मेरी पहली कहानी

पैसे का खेल
हरिशंकर परसाई

60 साल पहले

लाल फीते से पहले
जिम कार्बेट

आलेख

रंगमंच की बदलती भाषा का सच
बादल सरकार
प्रज्ञापिता धर्मवीर भारती
प्रेमकुमार
जब हार जायें तो हार मान लें…
डॉ. नरेश
मणिपुर का राज्यवृक्ष- ‘महोगनी’
डॉ. परशुराम शुक्ल
सहजानंद संग्रहालय में ‘समग्र शमशेर’
प्रकाश चंद्रायन
अंत्योदय नहीं, सर्वोदय
इंदु रायज़ादा
किताबें

महाभारत जारी है 

धर्म-व्याध!
प्रभाकर श्रोत्रिय

व्यंग्य

नकबेसर कागा ले भागा…
कृष्ण वल्लभ सिन्हा

धारावाहिक उपन्यास

कंथा (सत्ताइसवीं किस्त)
श्याम बिहारी श्यामल

 कविताएं

भाषा 
प्रमोद त्रिवेदी
दो कविताएं 
हरि मृदुल
तीन अप्रकाशित कविताएं
शमशेर बहादुर सिंह

कहानियां

तुमने क्यों कहा कि मैं सुंदर हूं
मनमोहन सरल
सांझ का सम्बल
डॉ. सत्येंद्र चतुर्वेदी
पुण्य किसका (लघुकथा)
उर्मि कृष्ण

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