सितम्बर 2009

Sep- 09

 

 

 

 

 

 

 

 

शब्द-यात्रा

मन से दिल की बात
आनंद गहलोत

पहली सीढ़ी 

…आकाश दो
विनय

आवरण-कथा

ज़रूरत मनुष्य बनानेवाली शिक्षा की है
सम्पादकीय
हमारी शिक्षा आधुनिक मूल्य-दृष्टि की
पोषक कब होगी?
नंदकिशोर आचार्य
अध्यापक ईंटें चिननेवाला कारीगर है या भवन का वास्तुकार?
रोहित धनकर
वह शिक्षा नहीं जो संवेदनशून्य बना दे
हजारीप्रसाद द्विवेदी
शिक्षक है कहां?
देव लाहिरी
शिक्षा का धंधा
यज्ञ शर्मा

मेरी पहली कहानी

भाग्य-चक्र
मनमोहन ‘सरल’

आलेख

सभी भारतीय भाषाएं एक ही नाव में सवार हैं
प्रभाकर श्रोत्रिय
भाषा के बहाने खोज अपनी सार्थकता की
राजेंद्र माथुर
ताकि हमारी भाषाएं सिर्फ़ अस्मिता की भाषाएं न रहें
डॉ. दामोदर खड़से
राजगुरु द्रोण
डॉ. भुवनचंद्र जोशी
शहर सिर्फ़ पत्थरों का नहीं विचारों का भी होता है
हिमांशु जोशी
उत्तर प्रदेश का राज्य पक्षी – सारस क्रौंच
डॉ. परशुराम शुक्ल
‘मानस’ के अंतिम सात प्रश्न
डॉ. भगीरथ दीक्षित
जहां न जाने कितनी रचनाएं जन्म ले सकती हैं
संतोष श्रीवास्तव
इनसानों ने कला की रचना कब शुरू की थी
डॉ. डी. बालसुब्रमण्यन
सवाल महाकाव्य और महाकवि का
डॉ. आनंदप्रकाश दीक्षित
किताबें

व्यंग्य

गर चाणक्य बनें प्रधानमंत्री
प्रभाशंकर उपाध्याय
आम आदमी और खास आदमी
अक्षय जैन

कहानियां

बहिष्कार
शीला इंद्र
सर्वोच्च धर्म (लघुकथा)
श्रीकांत कुलश्रेष्ठ
बासी परांठा
उषा भटनागर
पाठशाला (लघुकथा)
चंद्रधर शर्मा ‘गुलेरी

कविताएं

कितना सच कहते हैं राजा?
रमेश थानवी
तीन गुजराती कविताएं
पन्ना नायक
रावण – एक अधूरा मोक्ष गत्
द्विजेंद्रनाथ सैगल
एक अपरिचित ग़ज़ल
फ़िराक़ गोरखपुरी
बड़ी ‘ई’ की गलती
ओमप्रकाश आदित्य
हिंदी प्रशंसा
पं. भैरवप्रसाद बाजपेयि “बिशाल”

समाचार

संस्कृति समाचार
भवन के समाचार