सम्माननीय सर…
मेरा बेटा आज पहली बार स्कूल जा रहा है. उसके लिए सबकुछ नया-नया होगा. कृपया उससे सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार करें. यह नयी यात्रा उसे महाद्वीपों के पार तक ले जा सकती है. हर ऐसी यात्रा में शायद युद्ध भी होते हैं, त्रासदी भी, पीड़ा भी यह जीवन जीने के लिए उसे विश्वास, प्यार और साहस की आवश्यकता पड़ेगी.
मैं जानता हूं कि इस दुनिया में सारे लोग अच्छे और सच्चे नहीं हैं. यह बात मेरे बेटे को भी सीखनी होगी. पर मैं चाहता हूं कि आप उसे यह बतायें कि बुरे आदमी के पास भी अच्छा हृदय होता है. हर स्वार्थी नेता के अंदर अच्छा लीडर बनने की क्षमता होती है.
मैं चाहता हूं कि आप उसे सिखायें कि हर दुश्मन के अंदर एक दोस्त बनने की सम्भावना भी होती है. ये बातें सीखने में उसे समय लगेगा, मैं जानता हूं. पर आप उसे सिखाइए कि मेहनत से कमाया गया एक डॉलर, सड़क पर मिलने वाले पांच डॉलर के नोट से ज़्यादा कीमती होता है.
आप उसे बताइएगा कि दूसरों से जलन की भावना अपने मन में न लाये.
आप उसे किताबें पढ़ने के लिए तो कहिएगा ही, पर साथ ही उसे आकाश में उड़ते पक्षियों को, धूप में हरे-भरे मैदानों में खिले फूलों पर मंडराती तितलियों को निहारने की याद भी दिलाते रहिएगा. मैं समझता हूं कि ये बातें उसके लिए ज़्यादा काम की हैं.
मैं मानता हूं कि किसी बात पर चाहे दूसरे उसे गलत कहें, पर अपनी सच्ची बात पर कायम रहने का हुनर उसमें होना चाहिए. दयालु लोगों के साथ नम्रता से पेश आना और बुरे लोगों के साथ सख्ती से पेश आना चाहिए. दूसरों की सारी बातें सुनने के बाद उसमें से काम की चीज़ों का चुनाव उसे इन्हीं दिनों में सीखना होगा.
आप उसे बताना मत भूलिएगा कि उदासी को किस तरह प्रसन्नता में बदला जा सकता है. और उसे यह भी बताइएगा कि जब कभी रोने का मन करे तो रोने में शर्म बिल्कुल ना करे. मेरा सोचना है कि उसे खुद पर विश्वास होना चाहिए और दूसरों पर भी. तभी तो वह एक अच्छा इनसान बन पायेगा.
ये बातें बड़ी हैं और लम्बी भी. पर आप इनमें से जितना भी उसे सिखा पाए उतना उसके लिए अच्छा होगा. फिर, अभी मेरा बेटा बहुत छोटा है और बहुत प्यारा भी.
– अब्राहम लिंकन
(जनवरी 2016)