नवम्बर 2013

Nov 2013 Cover 1-4 fnlअंधेरा होने पर जानवर दीपक नहीं जलाते, सो जाते हैं. मनुष्य ने पत्थर पर पत्थर घिसकर रोशनी करना सीखा था. इस ज्ञान ने उसे विशिष्ट बना दिया. सच तो यह है कि ज्ञान के उजाले ने मनुष्य को जानवर की श्रेणी से पृथक करके मनुष्य बना दिया. यह उजाला कहीं से आता नहीं, लाना पड़ता है. जब हम यह उजाला लाते हैं, मनुष्य बन जाते हैं. और मनुष्य बने रहने के लिए उजाले को लाने की कोशिशें लगातार करते रहना पड़ता है. दीपावली का आना, हमारा दीये जलाना इसी प्रक्रिया का एक रूप है. आइए, जीवन में उजाले लाने, उजाले उतारने का संकल्प करें, ताकि उस उजाले में दूसरे को भी राह दिखने का अवसर मिल जाये. उजाला लाना, उजाला फैलाना यही मनुष्यता की पहचान है. आइए, इस पहचान से स्वयं को जोड़ें. आइए, मनुष्य बनें. बाटें उजालों को. उजाला करने से बाहर आलोक  फैलता है. उजाला बांटने से अंतर भी आलोकित होता है. जब अंतर आलोकित होता है तो उजाले की सार्थकता और बढ़ जाती है.

 

कुलपति उवाच

जीवन-पथ आलोकित हो गया
के. एम. मुनशी

शब्द-यात्रा

दूलहे की वधू
आनंद गहलोत

पहली सीढ़ी

अमल, अचल एकांत हृदय में…
स्वामी संवित सोमगिरि

आवरण-कथा

सम्पादकीय
आलोक की अंतर-यात्रा
रमेश दवे
अपनी आभा को पाने की चिंता
रमेश थानवी
पहले अंधेरे को समझना होगा
अनिल जोशी
अंधेरा भीतर ही है…  
नर्मदा प्रसाद उपाध्याय
धरती रचती आलोक छंद
यश मालवीय
अपने भीतर का सूरज देखो
ओशो
अंधेरा इतना बुरा भी नहीं होता
यज्ञ शर्मा

मेरी पहली कहानी

वह बात
रज़ा जाफ़री

महाभारत जारी है       

प्रेम में युगांतर
प्रभाकर श्रोत्रिय

धारावाहिक आत्मकथा

सीधी चढ़ान (दसवीं किस्त)
कनैयालाल माणिकलाल मुनशी

आलेख

बेगाना होता जा रहा है अपना आंगन
सुधांशु भूषण मिश्र
‘खुद ही खुद को मुक्ति दे ली थी’ 
महाश्वेता देवी
मेरा नारा रोटी और किताब है
अली सरदार जाफरी
‘मेरा सफर अभी पूरा नहीं हुआ’
नेल्सन मंडेला
तमिलनाडु का राज्यवृक्ष ः पंखिया ताड़
डॉ. परशुराम शुक्ल
एक था कुक्कू
प्रकाश मनु
स्वयमेव मृगेंद्रता
राधेश्याम भारतीय
कहानी एक मकान होती है
मुनरो
कर्मयोग अर्थात कर्म का मार्ग
ए. पार्थसारथी
वाइस चांसलर की मोटर
श्रीनारायण चतुर्वेदी
पादुका-पुराण
चक्रवर्ती राजगोपालाचारी
किताबें 

कहानी

दर्पण
पाउलो कोएलो
चुप्पी की आवाज़ सुनो
आर्थर गार्डन
बार बॉय
सूर्यकांत नागर
निर्वाण का रास्ता
डॉ. सी बी सिंह

कविता

ज़िंदगी शम्मा की ..
अल्लामा इकबाल
रावण मरता है सदा…
सूर्यभानु गुप्त
जलाओ दिए….
गोपालदास नीरज
फिर एक दिन…
अली सरदार जाफ़री
…तो आओ  
विट्ठल भाई पटेल

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