नवम्बर 2012

Nov 2012 Fold Coverजीवन में आशा, उल्लास और विश्वास का महत्त्व असंदिग्ध है. आशा हमें कल के प्रति उत्सुकता का भाव ही नहीं देती, एक ऊर्जा भी देती है कल को जीने की. उल्लास इस ऊर्जा को रंग देता है, प्रखर बनाता है. तब जगता है विश्वास. तब हम जीवन नहीं जीते, जीवन हमें जीता है. तब सिर्फ ग्रहण करने का मन नहीं करता, उत्सर्ग का मन भी बनता है. प्रसाद ने ‘कामायनी’ में कहा है न, ‘इस अर्पण में कुछ और नहीं, केवल उत्सर्ग झलकता है.’ कुछ अर्पित करके हम जुड़ते हैं दूसरे से. तब हमारी खुशी उसकी खुशी बन जाती है, उसकी खुशी में हम खुश हो लेते हैं. खुशियों के बंटवारे का यह समझौता हमारे अकेलेपन के शाप से मुक्ति दिलाता है हमें. हमें समष्टि से जोड़ता है. तब उत्सव मनता है. खुश तो हम अकेले भी हो सकते हैं, पर इस खुशी का सही अर्थ तब समझ आता है, जब हम दूसरे की खुशी के बारे में भी सोचें. सामूहिकता का यह भाव हमारे अस्तित्व को विस्तार देता है. हमें वह बनाता है जो हमें होना चाहिए. इसके लिए हम सीमाओं को ढकेलते हैं, एक विस्तार को जीने की कोशिश करते हैं. यही है जीवन-उत्सव.

कुलपति उवाच

आत्म-नियमन
के. एम. मुनशी

शब्द-यात्रा

नाम-ओ-निशान नाम व गाली के
आनंद गहलोत

पहली सीढ़ी

रात मत बुनो
सूर्यभानु गुप्त

आवरण-कथा

सम्पादकीय
जीवन उत्सव है
रमेश दवे
जीवन के उत्सव बनने का क्षण
विद्यानिवास मिश्र
मेरा संदश है- उत्सव!
ओशो
उत्सव मनाओ… आओ जीवन के हर दिन को
उत्सव बनाएं
सुधा अरोड़ा

मेरी पहली कहानी

परदे की दीवार
हृदयेश

60 साल पहले

मूमल-महेंदर
सत्य

आलेख

क्या हमने सत्य को जान लिया है?
विष्णु प्रभाकर
‘मैं आगे आनेवाले की जय-जयकार!’
अज्ञेय
जूले… कसम से…
सतीश जायसवाल
नागालैंड का राज्यवृक्ष- भिदुर
डॉ. परशुराम शुक्ल
बाबूजी की रचनाएं मेरी मार्गदर्शक हैं
अमिताभ बच्चन
आधी रात का दर्द
हरिवंशराय बच्चन
प्रौद्योगिक अध्यात्म का हाई-टेक विमर्श
राजेश जैन
एक नोबल यह भी
विष्णुप्रसाद चतुर्वेदी
उपभोक्तावाद के अभिमन्यु
रमेश जोशी
कोंकण का कृष्णकमल
अरुणेंद्र नाथ वर्मा
किताबें

महाभारत जारी है

कलावाद का सच
प्रभाकर श्रोत्रिय

व्यंग्य

कुरसी के आंसू
गोपाल चतुर्वेदी

कविताएं

शांति से मरूंगा मैं
डॉ. रणजीत
दीप ज्योति की सर्जना
दिनेश शुक्ल
दो गज़लें
विज्ञान व्रत
दस्तक
डॉ. सुनील केशव देवधर
दो गज़लें
राजी सेठ

कहानियां

कगार के दरख्त
डॉ. कृष्णा श्रीवास्तव
चेत सके तो चेत
भगवान वैद्य ‘प्रखर’
बाजीराव-मस्तानी की अमर प्रेम कहानी
शरद पगारे
सार्थक मूल्य
डॉ. सी.बी. सिंह
समाचार
भवन समाचार
संस्कृति समाचार
 
 

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