दो कविताएं  –  केशव शरण

‘क’ को

एक इतिहास

एक धर्म

एक संस्कृति देकर

समय आगे निकल गया

‘ख’ को देने

और ‘ख’ के बाद

‘ग’ को देने

और ‘ग’ के बाद ‘घ’ को

‘क’

अपने इतिहास

धर्म और संस्कृति से

चिपककर रह गया

और ‘ख’ भी

और ‘ग’ भी

और ‘घ’ भी

अब क ख ग घ

जहां इकट्ठे होते हैं

संघर्ष शुरू हो जाता है

और बचता है

ङ माने कुछ नहीं!

 

 

मन का विभाजन

तन

दो भागों में

विभाजित हो जाये तो

मौत है

लेकिन

मन

कई भागों में

विभाजित है

और

मौत नहीं है.

सिर्फ यंत्रणाएं हैं

विभाजन की

जीवन में

वैसी ही लगभग

जैसी कि

भारतीय उपमहाद्वीप के

आंगन में

देख चुके हैं हम

मार्च 2016

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