दिसम्बर 2019

कुलपति उवाच 

03     उत्सर्ग के लिए तत्पर

       के.एम. मुनशी

अध्यक्षीय

04     सर्वत्र शांति हो

       सुरेंद्रलाल जी. मेहता

पहली सीढ़ी

11     प्रार्थना

       धर्मवीर भारती

आवरण-कथा

12     सभ्यता का `कचरा’

       सम्पादकीय

14     आशंकाओं, असुरक्षाओं में लिपटा समय

       विजय कुमार

21     देश या एक बहुत बड़ा कचरादान? 

       जितेंद्र भाटिया

27     कचरे का अध्यात्म 

       इवान क्लीमा

29     कचरा बाज़ार

       ध्रुव शुक्ल

36     देर होती जा रही है

       रमेश थानवी

38     निसर्ग और विज्ञान के द्वंद्व की राजनीति

       राजेंद्र माथुर

42     सभ्यता की पहचान

       जवाहरलाल नेहरू

व्यंग्य

44     कचरे के जलवे उर्फ स्वच्छता अभियान

       डॉ. अनंत श्रीमाली

धारावाहिक उपन्यास 

99     योगी अरविंद (पांचवीं किस्त)

       राजेंद्र मोहन भटनागर

शब्द-सम्पदा

138   तारीखों का चक्करö मिति, बदी, सुदी

       अजित वडनेरकर

आलेख 

58     आधुनिकता : जीवन में और समाज में

       विद्यानिवास मिश्र

62     गुरु नानक का `सच्चा सौदा’

       रमेश जोशी

68     ईसा के संदेश का पुनर्पाठ

       रोम्यां रोलां

90     प्रार्थना करते `अक्षर’

       प्रयाग शुक्ल 

92     बोलिए तो तब…

       बल्लभ डोभाल

95     आनंदप्रकाश दीक्षित को याद 

       करते हुए

       संजय भारद्वाज 

117   कौवा!

       राजशेखर व्यास

123   गुप्तोत्तरकाल में मृण्मूर्तियों का अभाव…

       प्रो. ए.एल. श्रीवास्तव

128   …सबसे बड़े कला संग्रहालय का देश

       संतोष श्रीवास्तव

134   बदलें वे मस्तिष्क-स्राव हम

       मुनि महेंद्र कुमार

136   किताबें

कथा

47     नकचढ़ी

       भरत चंद्र शर्मा

71     दिसम्बर इकहत्तर का एक दिन

       डॉ. हरिसुमन बिष्ट

कविताएं

46     अभंग

       मनोज सोनकर

57     समझा के बतायेंगे क्या?

       श्रीपाद भालचंद्र जोशी

88     दो कविताएं

       सूर्यभानु गुप्त

121   दो गज़लें

       उदय प्रतापसिंह

समाचार

140   भवन समाचार

144   संस्कृति समाचार

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