जून 2013

June 2013 Cover‘रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून’ कहकर रहीम ने पानी के न जाने कितने-कितने अर्थ हमारे सामने उजागर कर दिये. प्यास बुझाने से लेकर इगज्जत बचाने तक की बातें कहता यह दोहा उस पानी की भी कहानी है जो जीवन का पर्याय है. जिसके बिना जीवन की कल्पना ही नहीं की जा सकती.यूं तो हमारी पृथ्वी का दो तिहाई हिस्सा पानी है, लेकिन उस पानी की मात्रा बहुत कम है जो जीवन का आधार है. हमारी त्रासदी यह भी है कि जितना, जो कुछ, पानी है हम उसे लगातार बर्बाद करते जा रहे हैं. लगातार संकुचित बनाते जा रहे हैं जीने के आधार को. हमने तालाबों बावड़ियों को पाट दिया है, सदानीरा नदियों को गंदे नालों में बदल दिया है. इससे बड़ी विडम्बना क्या हो सकती है कि हम नदियों को मां भी कहते हैं और उन्हें मैली करने में भी नहीं सकुचाते? गंगा-जमुना से लेकर कृष्णा-कावेरी तक की कहानी एक सी है- प्रदूषित होता जा रहा है जल. ज़हर घुल रहा है पानी में.और जीवन में भी.

      हम नलों के माध्यम से पानी को घर तक ले आये हैं, शायद इसीलिए उस पीड़ा का अहसास नहीं कर पा रहे, जो पानी की कमी से उपजती है. इस कमी को किसान समझते हैं, झेलते हैं. खेतों में पानी के सूखने के साथ-साथ उनकी आखों का पानी भी सूख जाता है. एक घूंट पानी से लेकर धरती की प्यास तक की यह कहानी वस्तुतः एक सी है. और खतरा इस बात का हो रहा है कि धरती प्यासी रह जायेगी. तब जीवन का क्या होगा? जीवन प्यासा रह जायेगा. और जीवन के प्यासा रहने का एक मतलब मृत्यु भी होता है.

 

कुलपति उवाच

न कोई कर्म ऊंचा है, न नीचा
के. एम. मुनशी

शब्द-यात्रा

गिनती के शब्द
आनंद गहलोत

पहली सीढ़ी

संज्ञा दो मुझे
जुआं रेमोंजिमिनेज़

आवरण-कथा

सम्पादकीय
पानी हमारी साझा सम्पत्ति है
मधुसूदन आनंद
बोल मेरी धरती कितना पानी
योगेश चंद्र शर्मा
‘पानी को चलना सिखा दो…’
डॉ. राजेंद्र सिंह
रहिमन पानी राखिए
संजय भारद्वाज
बिन पानी सब सून
गोपाल चतुर्वेदी

मेरी पहली कहानी

नागरिक मताधिकार
जयनंदन

महाभारत जारी है

दानदाता
प्रभाकर श्रोत्रिय

धारावाहिक आत्मकथा

आधे रास्ते (पांचवी किस्त)
कनैयालाल माणिकलाल मुनशी

व्यंग्य

सत्यवादी हरिश्चंद्र
प्रदीप पंत

आलेख

सुबोध विज्ञान का प्रचार एक व्रत है
नारायण दत्त
साहित्य का नया मनुष्य-दर्शन विकसित हो
रमेश दवे
‘हम पर ये कहानियां बीती हैं’
काज़ी अब्दुल सत्तार
त्रिपुरा का राज्यवृक्ष-अगर
डॉ. परशुराम शुक्ल
समय, स्थान की सीमाओं के आर-पार डोलती लोक कथाएं
सुधीर निगम
रेडियो आया नहीं था, चाभी वाले ग्रामोफोन थे
पी. मनसाराम
नीलम की झील
डॉ. सुभद्रा राठौर
श्रेष्ठता मंजिल नहीं है… 
अजीम प्रेमजी
‘मुझे आरे से चीर दिया गया’
राहुल पंडिता
किताबें

कहानी

प्यास (उपन्यास अंश)
सदानंद देशमुख
कारण      
वासदेव मोही

कविता      

मिट्टी में मिली मिट्टी पानी में मिला पानी
सूर्यभानु गुप्त
पानी-पानी
रघुवीर सहाय
पानी     
राजेश जोशी
दो कविताएं
अवध बिहारी श्रीवास्तव

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