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जुस्तजू

प्रमोद शाह नफ़ीस

शैली पब्लिकेशन्स,प्रथम तल, चांदनी चौक स्ट्रीट, कोलकाता-72  मूल्य-100

19 नज्मों और 19 ग़ज़लों के इस संग्रह में अपने भीतर उठ रहे अपने वजूद और दुनिया के तमाम क्रिया-व्यापारों से जुड़े प्रश्नों का हल तलाशने की कोशिश है. अतीत की शिनाख्त और प्रकृति और मानवीय सौंदर्य पर बयान भी है. रिश्तों की गरमाहट से उठे घन कहीं फुहारें छोड़कर चले जाते हैं तो कहीं मूसलाधार बरस पड़ते हैं. तनहाई के आलम में अपना ठिकाना ढूंढ़ती इन गजलों को सुहृदय पाठक सराहेंगे.