अप्रैल 2013

April 2013 Cover - FNLमात्र 39 वर्ष की छोटी-सी आयु में स्वामीजी विश्व को जो दृष्टि दे गये वह मनुष्य को समझने-समझाने की दृष्टि थी. धर्म की उनकी व्याख्या में जहां एक ओर मनुष्यता के नये शिखरों को छूने की बात थी, वहीं धर्म को जीवन से जोड़कर रखने का एक अनूठा आयाम भी था.पराई पीर और को जानना इस धर्म की मूल भावना थी और ‘मानुष की जात सब एकै पहचानबो’ इस धर्म का मंत्र था, जिसके माध्यम से स्वामी विवेकानंद ने समूची मानवता को जीवन का नया दर्शन समझाया था. ‘उठो, जागो और प्राप्त करो’ यह उनका संदेश था उन सबके लिए जो सो रहे थे, जिनमें लक्ष्यों को प्राप्त करने की क्षमता तो थी, पर जो अपनी इस विशेषता से परिचित नहीं थे. स्वामी जी ने एक आशा और विश्वास का भाव दुनिया भर के युवकों को दिया था. उनका दिया मंत्र, उनका संदेश, उनका समझाना भाव आज भी उतना ही महत्त्वपूर्ण और प्रासंगिक है. जितना उनके जीवनकाल में था.
 
 

कुलपति उवाच

तितिक्षा बंधन-मुक्ति का नाम है
के. एम. मुनशी

शब्द-यात्रा

विचरण करते पशु-पक्षी (भाग-1)
आनंद गहलोत

पहली सीढ़ी

मां मुझे मनुष्यत्व दो!
स्वामी विवेकानंद

आवरण-कथा

सम्पादकीय
आस-पास ही तो हैं विवेकानंद
रमेश नैयर
दलित-विमर्श का प्रथम मसीहा
कमल किशोर गोयनका
धर्म-महासभा स्वागत का उत्तर
विवेकानंद
भारत का भविष्य
विवेकानंद
जब स्वामी विवेकानंद चीन गये…
विलियम पेज
योद्धा संन्यासी का साकार सपना
डॉ. रीना श्रीवास्तव

मेरी पहली कहानी

यंत्रणा
दिनेश पाठक

महाभारत जारी है

शत्रु से संधि, मित्र से युद्ध
प्रभाकर श्रोत्रिय

धारावाहिक आत्मकथा

आधे रास्ते (दूसरी किस्त)
कनैयालाल माणिकलाल मुनशी

व्यंग्य

खबर के पीछे की खबर
प्रदीप पंत

आलेख

साहित्य और प्रगति
स.ही. वात्स्यायन
जैसे मोजिज़ का हाथ छू रहा हूं…
यशवंत त्रिवेदी
राजनैतिक, आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक एकता का समन्वयक ‘भवन’  
सुरेंद्रलाल मेहता
जहां, देवता सोते हैं !
श्यामसुंदर दुबे
अरुणाचल प्रदेश और असम का राज्यवृक्ष – हुलुंग
डॉ. परशुराम शुक्ल
जब हेलन केलन हमारे राष्ट्रपति भवन आयीं…
यशपाल जैन
एक शहर का साहित्यिक संसार
सोनिया नाज़रथ
असफलता ही सफलता का सहयोगी पुरुष है
अभिराम सत्यज्ञ जयशील
अपने सृजन से गुज़रते हुए
नरेंद्र कोहली
किताबें

कहानी

बेली डांसर
अंजना वर्मा
जंगली
अजय कुमार सोडानी

कविता     

दो नवगीत   
कुमार शिव
दामिनी ! तुममें पूरे इतिहास को ज़िंदा होना है !       
सुधा अरोड़ा
क्षणिकाएं        
पद्मजा शर्मा

समाचार

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