अक्टूबर 2016

कुलपति उवाच

जीवन का उद्देश्य

के.एम. मुनशी

अध्यक्षीय

सनातन धर्म

सुरेंद्रलाल जी. मेहता

पहली सीढ़ी

चल अकेला रे…

रवींद्रनाथ ठाकुर

आवरण-कथा

एकला चलो रे

सम्पादकीय

गांधीजी ने क्या दिया?

गिरिराज किशोर

तब गांधी के सपनों का देश खड़ा होगा

रघु ठाकुर

महामानव गांधी

विजयदत्त श्रीधर

जानता हूं मार्ग मैं

महात्मा गांधी

पहली और अकेली असहमति गांधी के उत्तराधिकारियों से

पर्ल एस. बक

…और गांधीजी स्वयं ‘अछूत’ बन गये एक आदमी की सेना

प्यारेलाल

नोबेल कथा

मैं औरत

एलफ्रीड जेलिनेक

व्यंग्य

अपना कुछ नहीं बिगड़ेगा

विष्णु नागर

धारावाहिक उपन्यास – 9

शरणम्

नरेंद्र कोहली

शब्द-सम्पदा

दिशाएं

विद्यानिवास मिश्र

आलेख

मैं यह चुनौती आपको सौंपता हूं

जयप्रकाश नारायण

धर्म-निरपेक्षता के दर्जे

सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’

व्यंग्य में अतिरिक्त, अश्लील होता है

सूर्यबाला

…तब लुप्त नहीं होगी कोई सरस्वती

सुरेंद्र बांसल

‘मैं एक ज़हर दिये गये मृत चूहे के शरीर में प्रवेश कर रहा हूं…’

पेरुमल मुरुगन

रफ़्ता रफ़्ता वह हमारे दिल का मेहमां हो गया!

ज़हीर कुरेशी

एक देवी, दूसरी राक्षसी

अरुणेंद्र नाथ वर्मा

गांधी की दृष्टि में कला और कविता

विष्णु प्रभाकर

किताबों वाली किटी पार्टी

सूरज प्रकाश

मणिपुर की राजकीय मछली – पेंग्बा

परशुराम शुक्ल

किताबें

कथा

गाली

तरसेम गुजराल

कविताएं

युगावतार गांधी

सोहनलाल द्विवेदी

सितारा झांकता है

यश मालवीय

हारे-थके ये पांव

अश्वघोष

दो कविताएं

रमेश थानवी

समाचार

भवन समाचार

संस्कृति समाचार

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