हम सूरज के टुकड़े (पहली सीढ़ी) फरवरी 2016

।। आ नो भद्राः क्रतवो यन्तु विश्वतः।।

 

जैसे निहाई पर लोहे का पत्थर ढाला जाता है
वैसे ही हम नये दिन ढालेंगे
ताकत और पसीने से नहाये हुए
हम पाताल में उतरेंगे
और धरती के गर्भ से नया वैभव जीत लायेंगे
हम पर्वतों के उत्तुंग शिखरों पर चढ़ेंगे
और सूरज हममें ज़िंदगी भर देगा
हम सूरज के टुकड़े बन जाएंगे
हम अनेक हैं किंतु एक में समन्वित होंगे
उस महान गीत में हम सब की आवाज़ एक होगी
हमारे हृदय में एक नयी भावना अंगड़ाइयां लेगी
इतनी विराट कि उसे प्यार करने को
हमें सब भेद-भाव भुलाकर
एक विराट समवेत हृदय का निर्माण करना पड़ेगा,
हम नये दिन ढालेंगे,
उसमें उल्लास हीरों की तरह जड़ा रहेगा
नया दिन देखेगा
कि शक्तिशाली, सुदृढ़ ज्योति की ओर बढ़ रहे हैं
हम धरती पर छा जाएंगे
अपने गीतों से ज़िंदगी का अभिनंदन करते हुए

– रेजिनो पेट्रोसो
(क्यूबा के कवि)

फरवरी 2016

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