यदि आपका बालक आपसे कहे…

 गिजूभाई    >  

मान लीजिए कि आपका बालक आपसे कहे कि पिताजी, मैं यहां लिख रहा हूं. ज़ोर-ज़ोर से बातें करके आप मेरे लिखने में रुकावट मत डालिए.

मान लीजिए कि आपका बालक आपसे कहे कि आप बड़े-बड़े लोग अपने काम नियमित रूप से नहीं करते हैं, सो ठीक नहीं है.

मान लीजिए कि आपका बालक आपसे कहे कि आज विद्यालय जाने में मेरा मन अलसा रहा है, इसलिए मेरे शिक्षक के नाम आप चिट्ठी भेज दीजिए कि मैं आज विद्यालय नहीं पहुंचूंगा.

मान लीजिए कि आपका बालक आपसे कहे कि माताजी, आप इस तरह झूठ मत बोलिए. झूठ बोलने से पाप लगता है. कल से आप सच ही बोलिए.

मान लीजिए कि आपका बालक आपसे कहे कि पैसे इस तरह बरबाद करते रहने के लिए नहीं है. निकम्मी पुस्तकें, कपड़े और ऐसी दूसरी चीज़ें खरीदते रहना उचित नहीं.

मान लीजिए कि आपका बालक आपसे कहे कि आपको हमारे साथ सही बरताव करना आता नहीं है, इसलिए बालकों के साथ कैसे बरताव करना चाहिए, इसको समझने के लिए आप अमुक पुस्तक पढ़ लीजिए.

मान लीजिए कि आपका बालक आपसे कहे कि पिताजी और माताजी! यदि आप दोनों आपस में लड़ेंगे, तो हम आपको घर में नहीं आने देंगे, और आपका भोजन भी बंद कर देंगे.

मान लीजिए कि आपका बालक आपसे कहे कि पिताजी आप अपना काम-धंधा अच्छी तरह करना जानते नहीं हैं, इसलिए आपको काम-धंधा सिखानेवाला कोई शिक्षक हमें लगाना होगा.

(अनुवादः काशिनाथ त्रिवेदी)

(जनवरी 2014)

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