कुलपति उवाच
03 सांस्कृतिक संकट
के.एम. मुनशी
अध्यक्षीय
04 भीतर ही है वास्तविकता का अस्तित्व
सुरेंद्रलाल जी. मेहता
पहली सीढ़ी
11 उद्बोधन
रवींद्रनाथ ठाकुर
आवरण-कथा
12 बुद्ध ने कहा था…
सम्पादकीय
14 नत्थि संति परं सुखम्
रमेश दवे
20 अब्बैरेण वैरिणा जितं
कैलाशचंद्र पंत
26 दम तोड़ता बुद्धत्व
मधु कांकरिया
31 बुद्धिवाद की मशाल
रामधारी सिंह दिनकर
36 बुद्धत्व मानव की परम स्वतंत्रता है
ओशो
व्यंग्य
100 अंधेर नगरी में विकास
शशिकांत सिंह `शशि’
129 जिसके हम मामा हैं
शरद जोशी
शब्द-सम्पदा
138 भुजबल और बाहुबली का बांहें चढ़ाना
अजित वडनेरकर
आलेख
50 `भारत का पहला आधुनिकतावादी’
मुल्कराज आनंद
63 पूरे विश्व का सोच हमारी परिधि में हो
प्रेमकुमार
73 गांधी का पुतला
असगर वजाहत
76 धोखे की खुशियां
ध्रुव शुक्ल
81 भारतीय इतिहास-…का प्रबुद्ध मानस
विद्यानिवास मिश्र
88 विद्युत बिल्ली मछली!
डॉ. परशुराम शुक्ल
92 औरत अगर खुदसर हो
रमणिका गुप्ता
104 अग्नि : मानव सभ्यता…. कड़ी
डॉ. ए. एल. श्रीवास्तव
118 समय को समग्रता में देखना होगा
सुखदेव प्रसाद दुबे
123 थाईलैंड का वह `सांस्कृतिक गांव’
अरविंद कुमार `साहू’
130 हो सकती है हिंदू-मुस्लिम एकता
अक्षय जैन
133 पैरों तले की घास
सर्वेश्वर दयाल सक्सेना
134 खिलाफत की खिलाफत
138 किताबें
कथा
58 सफेद रात का जख्म
रामस्वरूप अणखी
78 हमला
सुशांत सुप्रिय
110 बेला
निर्मल कुमार
कविताएं
35 मां कह एक कहानी
मैथिलीशरण गुप्त
47 बुद्ध और नाचघर
हरिवंशराय बच्चन
99 यह खून अपना हो या पराया हो
साहिर लुधियानवी
109 हाट
सुबोध मिश्र
समाचार
140 भवन समाचार
144 संस्कृति समाचार
आवरण-चित्र
नंदलाल बसु