मई 2019

कुलपति उवाच 

03    सांस्कृतिक संकट

      के.एम. मुनशी

अध्यक्षीय

04    भीतर ही है वास्तविकता का अस्तित्व

      सुरेंद्रलाल जी. मेहता

पहली सीढ़ी

11    उद्बोधन

      रवींद्रनाथ ठाकुर     

आवरण-कथा

12    बुद्ध ने कहा था…

      सम्पादकीय

14    नत्थि संति परं सुखम्

      रमेश दवे

20    अब्बैरेण वैरिणा जितं

      कैलाशचंद्र पंत

26    दम तोड़ता बुद्धत्व 

      मधु कांकरिया

31    बुद्धिवाद की मशाल

      रामधारी सिंह दिनकर

36    बुद्धत्व मानव की परम स्वतंत्रता है

      ओशो

व्यंग्य

100   अंधेर नगरी में विकास

      शशिकांत सिंह `शशि’

129   जिसके हम मामा हैं

      शरद जोशी

शब्द-सम्पदा

138   भुजबल और बाहुबली का बांहें चढ़ाना

      अजित वडनेरकर

आलेख 

50    `भारत का पहला आधुनिकतावादी’

      मुल्कराज आनंद

63    पूरे विश्व का सोच हमारी परिधि में हो

      प्रेमकुमार

73    गांधी का पुतला

      असगर वजाहत

76    धोखे की खुशियां

      ध्रुव शुक्ल

81    भारतीय इतिहास-…का प्रबुद्ध मानस

      विद्यानिवास मिश्र

88    विद्युत बिल्ली मछली!

      डॉ. परशुराम शुक्ल

92    औरत अगर खुदसर हो

      रमणिका गुप्ता

104   अग्नि : मानव सभ्यता…. कड़ी

      डॉ. ए. एल. श्रीवास्तव

118   समय को समग्रता में देखना होगा

      सुखदेव प्रसाद दुबे

123   थाईलैंड का वह `सांस्कृतिक गांव’

      अरविंद कुमार `साहू’

130   हो सकती है हिंदू-मुस्लिम एकता

      अक्षय जैन

133   पैरों तले की घास

      सर्वेश्वर दयाल सक्सेना

134   खिलाफत की खिलाफत 

138   किताबें

कथा

58    सफेद रात का जख्म

      रामस्वरूप अणखी

78    हमला

      सुशांत सुप्रिय

110   बेला

      निर्मल कुमार

कविताएं

35    मां कह एक कहानी

      मैथिलीशरण गुप्त 

47    बुद्ध और नाचघर

      हरिवंशराय बच्चन

99    यह खून अपना हो या पराया हो

      साहिर लुधियानवी

109   हाट

      सुबोध मिश्र

समाचार

140   भवन समाचार

144   संस्कृति समाचार

आवरण-चित्र

नंदलाल बसु

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