जुलाई 2015

कुलपति उवाच 

03    तमस् से सत्व तक

      के.एम. मुनशी

अध्यक्षीय

04    आपके भीतर का `मैं’

      सुरेंद्रलाल जी. मेहता

पहली सीढ़ी

11    मनुष्य का रास्ता

      एनटीक पेना बैरी निशिया

आवरण-कथा

12    तटस्थता के विरुद्ध

      सम्पादकीय

14    तटस्थता के प्रतिरोध में 

      आज का `गीता उवाच’

      रामशरण जोशी

18    जो तटस्थ हैं समय लिखेगा… 

      कैलाशचंद्र पंत

24    ज़िंदा कौमें तटस्थ नहीं रहतीं

      विजय किशोर मानव

29    तट पर हूं तटस्थ नहीं

      विष्णु नागर

नोबेल कथा

41    फटा हुआ बूट

      ग्रेजिया डेलेडा

व्यंग्य

88    बिल्ली के गले में घंटी

      शशिकांत सिंह `शशि’

शब्द यात्रा

137   मनु का आदिमानव

      आनंद गहलोत

आलेख 

32    विनाश की ओर बढ़ता विकास

      प्रभाष जोशी

44    साहित्य का भविष्य और 

      भविष्य का साहित्य

      विद्यानिवास मिश्र

49    सवाल यह है कि आपने कहा क्या है?

      धूमिल

61    `धर्म हमारे सत्य को मूल्यवान बनाता है’

      टैगोर, आइंस्टीन

65    वह मेरा वरण किया हुआ एकांत नहीं था

      रमेशचंद्र शाह

74    दोपहर में गांव

      जयप्रकाश मानस

78    दूसरे पते पर लिखने का दर्द 

      बनाम कश्मीर का गांव

      दिविक रमेश

94    उस सत्य को प्रणाम

      जैनेंद्र कुमार

98    लोकसंस्कृति का नया अध्याय

      अरुणेंद्र नाथ वर्मा

114   खुशहाली का सूचकांक

      देवर्षि कलानाथ शास्त्राr

122   जंगल में गुलाब की क्या भूमिका है?

      अली अहमद सईद

125   विस्थापन का दर्द और मानस का मरहम

      डॉ. सुरेश ऋतुपर्ण

135   आकाश नीला क्यों है?

      चंद्रलेखा

138   किताबें

कथा

55    अनकहा सच

      मालती जोशी

103   प्रेम है जहां, भगवान हैं वहां

      ताल्सताय

133   भाई-भाई लड़ मरे?

      प्रभाकर श्रोत्रिय

कविताएं

72    सुनील गंगोपाध्याय की कविताएं

      रामशंकर द्विवेदी

93    संवेदना

      टीकम शेखावत

132   जब हम अकेले हुए!

      नामवर

समाचार

140   भवन समाचार

144   संस्कृति समाचार

1 comment for “जुलाई 2015

Comments are closed.