कर्नाटक की राजकीय मछली  : कावेरी केन्डई – डॉ. परशुराम शुक्ल

राज-मछली 

साइप्रिनिडी परिवार के मछली कावेरी केन्डई का वैज्ञानिक नाम पंटियस कर्नाटिकस है. अंग्रेज़ी में इसे कर्नाटिक कार्प कहते हैं. कावेरी केन्डई विश्व में कर्नाटक कार्प के नाम से प्रसिद्ध है.

सामान्यतया एक मछली को अपने वैज्ञानिक नाम से ही सम्पूर्ण विश्व में जाना जाता है, किंतु कावेरी केन्डई के तीन वैज्ञानिक नाम हैं. कावेरी केन्डई का सर्वप्रथम जेरडॉन ने गहन एवं सूक्ष्म अध्ययन किया और सन् 1849 में इसे वैज्ञानिक नाम दिया- बारबॉडेस कर्नाटिकस. इसके कुछ समय बाद एम. अरुणाचलम ने इसका अध्ययन किया. उन्होंने यह पाया कि कावेरी केन्डई मछली बारबॉडेस वंश की मछलियों की तुलना में पंटियस वंश की मछलियों के अधिक निकट है. इसके बाद इस मछली का वैज्ञानिक नाम पंटियस कर्नाटिकस कर दिया गया. कावेरी केन्डई का एक तीसरा वैज्ञानिक नाम भी है- सिस्टोमस कर्नाटिकस. यह नाम प्रचलन में नहीं है.

कावेरी केन्डई भोजन की एक लोकप्रिय मछली है. यह पुरानी दुनिया की मछली है और केवल भारत में पायी जाती है. इसे केवल कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु में देखा जा सकता है. कर्नाटक और केरल में यह पर्याप्त संख्या में पायी जाती है, किंतु दक्षिणी केरल में इसकी संख्या बहुत कम है, अतः यहां इसे विरल मछली समझा जाता है.

कृष्णा और कावेरी नदियों और इनकी सहायक नदियों में इसकी संख्या अधिक है. इसके साथ ही इसे मोयार, काबिनि, भवानी, चलककुडी, पेरियार, पम्बर, चेलियार आदि में भी देखा जा सकता है. ऊंटी झील और मुडुमलाई वाइल्डलाइफ सैन्चुरी के जलस्रोतों में भी यह बड़ी संख्या में मिलती है. कभी-कभी यह चलककुडी नदी में भी देखी गयी है. कावेरी केन्डई मछली तमिलनाडु के धरमापुरी के कुछ भागों और पूर्वी घाट के कोल्लीहिल्स के कुछ जलस्रोतों में भी पायी जाती है. कर्नाटक सरकार द्वारा इसे कर्नाटक की राजकीय मछली घोषित किये जाने के बाद आशा है कि इसका बड़े स्तर पर सूक्ष्म एवं गहन अध्ययन किया जायेगा.

कावेरी केन्डई कार्प परिवार की मछली है. इस परिवार की मछलियां ताजे पानी के विभिन्न प्रकार के जलस्रोतों- नदियों, तालाबों, झीलों, कुण्डों आदि में पायी जाती हैं. कुछ मछलियां तेज़ गति से बहनेवाले पानी में रहती हैं तो कुछ धीमी गति से बहनेवाले पानी अथवा रुके हुए पानी में. यह तेज़ बहनेवाली नदियों और जलधाराओं में रहना अधिक पसंद करती है. पानी के तेज़ बहाव से बचने के लिए प्रायः पानी के तल के पत्थरों के नीचे, चट्टानों की दरारों में, नदियों के किनारे बनी हुई छोटी-छोटी जल गुफाओं आदि में छिपी रहती है. वास्तव में कावेरी केन्डई में छिपने की आदत होती है. यही कारण है कि पानी के भीतर इसे छिपने योग्य जो भी स्थान मिल जाता है, यह वहां पहुंच जाती है और लम्बे समय तक पड़ी रहती है.

इसकी शारीरिक संरचना कार्प परिवार की तेज़ गति से बहनेवाली नदियों की कार्प मछलियों के समान होती है. मध्यम आकार की इस मछली के शरीर की लम्बाई 35 सेंटीमीटर से लेकर 50 सेंटीमीटर तक होती है. कभी-कभी 60 सेंटीमीटर तक लम्बी कावेरी केन्डई भी देखने को मिल जाती है.

कावेरी केन्डई का शरीर गठा हुआ और मज़बूत होता है. इसका वज़न 7 किलोग्राम से लेकर 12 किलोग्राम तक होता है. इसका शरीर हल्के रुपहले रंग का होता है तथा शल्कों से ढका रहता है. इसके शरीर का मध्य भाग मोटा और मांसल होता है तथा जैसे-जैसे ऊपर अथवा नीचे की ओर बढ़ते हैं, यह पतला होता जाता है. अर्थात इसका शरीर, मुंह और पूंछ की ओर पतला होता है. सिर वाले भाग की तुलना में पूंछ वाला भाग अधिक पतला होता है. कावेरी केन्डई के शरीर के शल्क रूपहले रंग के, बड़े और मज़बूत होते हैं तथा शरीर से अच्छी तरह चिपके रहते हैं. ये शल्क इसकी सुरक्षा का कार्य करते हैं.

इस मछली का सिर, शरीर की तुलना में छोटा होता है. इसकी आंखें बड़ी और गोल होती हैं तथा सिर पर कुछ आगे और ऊपर की ओर होती हैं. इसका मुंह छोटा और ओठ मोटे होते हैं. इसके सभी मीनपंख छोटे और कोमल फिनरेज वाले होते हैं एवं इनका रंग गहरा होता है. इसकी पूंछ का मीनपंख छोटा और दो भागों में बंटा हुआ होता है. कावेरी केन्डई के शरीर के मीनपंखों की संरचना इस प्रकार की होती है कि यह तेज़ गति से बहनेवाली नदियों में सरलता से रह सकती है.

कावेरी केन्डई शाकाहारी मछली है. इसका प्रमुख भोजन नदियों, झीलों तथा इसी प्रकार के जलस्रोतों के किनारे के वृक्षों से पानी में गिरनेवाले फल और बीज हैं. इसके साथ ही यह वृक्षों की पत्तियां भी खाती है. यह जलीय पौधे नहीं खाती है अथवा बहुत कम खाती है.

कावेरी केन्डई का प्रजनन ताज़े पानी में पायी जानेवाली कार्प परिवार की सामान्य मछलियों की तरह होता है. इसका प्रजनन-काल जुलाई से आरम्भ होता है और अगस्त के अंत तक चलता है. यह तालाबों तथा इसी प्रकार के अन्य जलस्रोतों में, जहां पानी रुका हुआ हो, प्रजनन नहीं करती. प्रजनन काल में वयस्क कावेरी केन्डई पानी के किनारे तटों पर कभी नहीं आती है. यह मानसून आने के बाद नदियों में ऊपर की ओर बढ़ती है. अर्थात नीचे से ऊपर की ओर प्रवास करती है. इसकी शारीरिक संरचना इस प्रकार की होती है कि इसे नदी की धारा के विपरीत, नीचे से ऊपर प्रवास करने में कोई परेशानी नहीं होती है. नदी में ऊपर पहुंचकर यह प्रजनन करती है.

परिपक्व होने के बाद अण्डे फूटते हैं और इनसे छोटे-छोटे बच्चे निकलते हैं. इसके बच्चों में झुण्ड बनाने की प्रवृत्ति होती है. इन्हें सितम्बर से दिसम्बर तक छोटे-छोटे झुण्डों में, नदियों में देखा जा सकता है. एक वर्ष की आयु में ये बच्चे बड़े हो जाते हैं तथा यदि अपने शत्रुओं और शिकार आदि से बचे रहते हैं तो लगभग 5 वर्ष की आयु तक जीवित रहते हैं.

कावेरी केन्डई भोजन की शानदार मछली है. यह बड़ी पौष्टिक और स्वादिष्ट होती है.

कावेरी केन्डई व्यावसायिक उपयोग की मछली है. इसे सरलता से पालतू बनाया जा सकता है. यह पालतू अवस्था में प्रजनन भी करती है. कावेरी नदी के निकट तथा कुछ अन्य जलस्रोतों के पास इसके छोटे-छोटे मत्स्यपालन केंद्र हैं, जहां व्यावसायिक स्तर पर इसके बीज उत्पादन के प्रयास किये जा रहे हैं.

कावेरी केन्डई नदियों में ऐसे स्थानों पर रहती है, जहां यह काफी सीमा तक सुरक्षित हो जाती है. यही कारण है कि जहां भारत की अन्य मछलियों की संख्या में कमी हो रही है, वहीं कावेरी केन्डई की संख्या में कोई विशेष अंतर नहीं आया है. यह आज भी पर्याप्त संख्या में है तथा निकट भविष्य में भी इसके संकटग्रस्त होने अथवा विलुप्त होने की कोई आशंका नहीं है.       

मई 2016

 

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