अगस्त 2018

कुलपति उवाच 

धर्म की संकल्पना

के.एम. मुनशी

अध्यक्षीय

एक सत्य और कई अवधारणाएं

सुरेंद्रलाल जी. मेहता

पहली सीढ़ी

लाओ अपना हाथ

भवानीप्रसाद मिश्र

आवरण-कथा

सम्पादकीय

स्वतंत्रता, समता, न्याय का स्वर्ग बने भारत

रामशरण जोशी

स्वतंत्रता बनाम अराजकता

गंगा प्रसाद विमल

मर गया देश, ज़िंदा रह गये तुम…

ध्रुव शुक्ल

देश को क्यों भुला दिया राष्ट्रवाद ने

विद्यानिवास मिश्र

क्षमा की शर्तें

हर्ष मंदर

जनतंत्र हमारा विश्वास है

प्रणव मुखर्जी

लोकशाही की मर्यादाएं

जयप्रकाश नारायण

राजनीति की रपटीली राह में

अटलबिहारी वाजपेयी

व्यंग्य

प्रशांत महासागरों में लहराते हुए 

विष्णु नागर

शब्द-सम्पदा

आज़ादी और जात-बिरादरी

अजित वडनेरकर

आलेख 

महानगर मन और कस्बा संस्कृति

कुबेरनाथ राय

अरुण यह मधुमय देश हमारा

हरीश कुमार शर्मा

शिक्षा और जाति

कृष्ण कुमार

लोक देवता अमृतलाल वेगड़

विजयदत्त श्रीधर

कागज़ की वह चोरी

अमृतलाल वेगड़

सामाजिक क्रांति के आयाम

अपर्णा मक्कड़

हाइकू सरीखा है जापान

मंगलेश डबराल

क्रील समुद्र का जलता बल्ब है!

परशुराम शुक्ल

आध्यात्मिक छलांग

डॉ. दुर्गादत्त पाण्डेय

निरंक से अंक तक 

रमेश दवे

किताबें

कथा

टोबा टेकसिंह

मंटो

जल्लाद

प्रतिभा राय

नैनं छिंदंति शस्त्राणि

सुदर्शन वशिष्ठ

कविताएं

शीशे की किरचें

बुद्धिनाथ मिश्र

जो कहो वह न करो

नंद चतुर्वेदी

दो कविताएं   

अमृता भारती

बरसाती संगीत  

दिनेश भारद्वाज

समाचार

भवन समाचार

संस्कृति समाचार

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